अगर आप ब्लॉगिंग
के प्रति समर्पित हैं तो ब्लॉगरीय षटकर्म से आपको जरुर वास्ता पड़ता होगा, इन बातों से
हालाँकि जरुरी नहीं कि आप सभी सहमत हों, लेकिन ब्लॉगिंग के इस छोटे से सफर में मैंने जो
अनुभव किया उसके निष्कर्ष
कुछ इस तरह है, और
आदरणीय ललित शर्मा जी यही मानते हैं, तो चलो बात करते हैं क्या है ब्लॉगरीय
षटकर्म :-
लेखन : आपकी रचनात्मकता आपकी सोच का परिणाम है, और आपकी सोच आपके व्यक्तिव का परिचय। हम जब भी कोई शब्द लिखते या बोलते हैं तो वह शब्द हमारे व्यक्तिव का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है। लेखन का जहाँ तक सम्बन्ध है, कालजयी और सार्थक लेखन उसे ही कहा जाता है, जिसमें किसी व्यक्ति के उदात भाव अभिव्यक्त हुए हों। यानि उस व्यक्ति ने भावों को सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अभिव्यक्त किया हो. यदि हम भारतीय वाऽ.मय पर दृष्टिपात करें तो वेदों का महत्व आज भी उतना ही है जितना की उस युग में था, यही बात पुराण, उपनिषद और परवर्ती ग्रंथों और रचनाकारों पर भी समान रूप से लागू होती है। आधुनिक युग में भी बहुत से विचारक, दार्शनिक और लेखक हुए हैं। लेकिन काल और समय की सीमा से परे वही लेखक हैं जिनके भावों में उदात्ता और मानवीय भावों समावेश है, और उनका लेखन आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शन का काम कर रहा है, करता रहेगा उनकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी।
लेखन : आपकी रचनात्मकता आपकी सोच का परिणाम है, और आपकी सोच आपके व्यक्तिव का परिचय। हम जब भी कोई शब्द लिखते या बोलते हैं तो वह शब्द हमारे व्यक्तिव का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है। लेखन का जहाँ तक सम्बन्ध है, कालजयी और सार्थक लेखन उसे ही कहा जाता है, जिसमें किसी व्यक्ति के उदात भाव अभिव्यक्त हुए हों। यानि उस व्यक्ति ने भावों को सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अभिव्यक्त किया हो. यदि हम भारतीय वाऽ.मय पर दृष्टिपात करें तो वेदों का महत्व आज भी उतना ही है जितना की उस युग में था, यही बात पुराण, उपनिषद और परवर्ती ग्रंथों और रचनाकारों पर भी समान रूप से लागू होती है। आधुनिक युग में भी बहुत से विचारक, दार्शनिक और लेखक हुए हैं। लेकिन काल और समय की सीमा से परे वही लेखक हैं जिनके भावों में उदात्ता और मानवीय भावों समावेश है, और उनका लेखन आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शन का काम कर रहा है, करता रहेगा उनकी प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी।
ब्लॉग की जहाँ तक
बात है यह अपार संभावनाओं का द्वार है। हम तकनीकी रूप से बेशक उस काल के लोगों
से बहुत आगे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि चिंतन, सोच और संवेदना के स्तर पर हम उनका मुकाबला नहीं कर सकते. हमें अपने स्तर और लेखन के स्तर को बनाये रखने के लिए मौलिक चिंतन की तरफ ध्यान देना होगा। सकारात्मक सोच के साथ वैश्विक स्तर पर सोचना होगा आज भी हमारे सामने मानवीय सोच के वह पहलु हैं जिनके कारण हम एक दुसरे से जुदा हैं, कहीं भाषा के स्तर पर तो जाति के स्तर पर, कहीं धर्म के स्तर पर तो कहीं देशों की सीमा के स्तर पर। ऐसे और भी अनेक कारण हैं जो आज हमें एक दुसरे से जुदा करते हैं. ऐसे हालत में हमें खुद को समाज के जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में देखना होगा और जितना भी संभव हो सके हम सार्थक विचारों से खुद की छवि के साथ-साथ देश और समाज की छवि को भी सुधरने का प्रयास करें यही हमारे लेखन और ब्लॉगिंग की सार्थकता के साथ-साथ जीवन की सार्थकता भी है.
से बहुत आगे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि चिंतन, सोच और संवेदना के स्तर पर हम उनका मुकाबला नहीं कर सकते. हमें अपने स्तर और लेखन के स्तर को बनाये रखने के लिए मौलिक चिंतन की तरफ ध्यान देना होगा। सकारात्मक सोच के साथ वैश्विक स्तर पर सोचना होगा आज भी हमारे सामने मानवीय सोच के वह पहलु हैं जिनके कारण हम एक दुसरे से जुदा हैं, कहीं भाषा के स्तर पर तो जाति के स्तर पर, कहीं धर्म के स्तर पर तो कहीं देशों की सीमा के स्तर पर। ऐसे और भी अनेक कारण हैं जो आज हमें एक दुसरे से जुदा करते हैं. ऐसे हालत में हमें खुद को समाज के जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में देखना होगा और जितना भी संभव हो सके हम सार्थक विचारों से खुद की छवि के साथ-साथ देश और समाज की छवि को भी सुधरने का प्रयास करें यही हमारे लेखन और ब्लॉगिंग की सार्थकता के साथ-साथ जीवन की सार्थकता भी है.
पढना : हम किसी रचनाकार
से चाहे किसी भी तरह से परिचित हैं। लेकिन उसकी सारी बातों से बढ़कर हमारे लिए
उसका लेखन है। किसी लेखक के विचारों के जरिये हम उसके
जीवन और सोच को विश्लेषित कर रहे होते हैं। हम
किसी रचनाकार को तब रोचकता और जिज्ञासा से पढ़ते हैं, जब उसके विचार हमारे जीवन में उर्जा, सोच में सकारात्मकता, मन में पवित्रता ,विचार में
दृढ़ता लाते हों। क्योँ
हम बार-बार गीता, रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों को पढ़ते हैं
, सिर्फ इसलिए कि वह हमें एक नयी जीवन दृष्टि देते हैं, हमारे जीवन में आशा का संचार करते हैं,
हमारे भावों में पवित्रता लाते हैं, या संक्षिप्त रूप से कहूँ तो वह हमें एक
इंसान बनाते हैं। ब्लॉग में भी एक पाठक के तौर हमें इन संभावनाओं को तलाशना होगा। हमें सही मायने में
पाठक बनना होगा। जब हम किसी का लेख पढ़ रहे होते
हैं खुद हम लेखक होने की बजाए एक पाठक होते हैं। हम बेशक कम पढ़ें लेकिन जो पढ़ें
उसे मनन करते हुए पढ़ें तभी हम एक सार्थक दिशा
की तरफ बढ़ सकते हैं, वर्ना....आप समझदार हैं ...मैं तो नाचीज हूँ क्या कह सकता हूँ।
पढने के लिए लिंक
देना : भामह ने अपने ग्रन्थ काव्यालंकार में काव्य प्रयोजन पर विचार करते हुए यश प्राप्ति
को भी काव्य का एक प्रयोजन माना है, और यह मानवीय स्वभाव भी है कि उसके किसी कर्म का फल
उसे अवश्य मिलना
चाहिए। आज के तकनीकी युग में यह बात ज्यादा आसन हो गयी है। आज दृश्य और श्रव्य
साधनों का विस्तार इतना हो चुका है कि पूरा विश्व
हमें गाँव नजर आता है, और
इस कारण हम किसी व्यक्ति से अपना संपर्क
किसी भी तरीके से कर सकते हैं। उसे अपनी बात समझा सकते
हें। ब्लॉग जगत में भी यह बात शत प्रतिशत लागू होती
है, और यह आवशयक भी है
कि हम जो भी लिखें किसी दुसरे को अवगत करवाएं लेकिन उसी सीमा तक जहाँ
तक वह किसी की भावनाओं के साथ सही बैठता है। वर्ना ऐसा
करना किसी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
ब्लॉग लेखन के लिए
प्रोत्साहित करना : यह एक नेक काम है कि हम किसी का उत्साहवर्धन कर उसे
एक सकारात्मक
काम के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। आप किसी ब्लॉगर की पोस्ट को पढ़कर एक टिप्पणी
कर देते हैं तो लिखने वाले का मनोबल बढ़ जाता है
और वह पूरी शिद्दत से अपने काम के प्रति समर्पित हो जाता है। किसी नए ब्लॉगर को लेखन के लिए प्रोत्साहन देना हमारा नेक कार्य है, और मैं जानता हूँ कि यह काम आप बहुत बखूबी
करते हो। तभी तो हिंदी में ब्लॉगरों की संख्या दिन
प्रतिदिन बढ़ रही है, और
इससे दो लाभ प्रत्यक्ष रूप से हो रहें हैं
एक तो हिंदी का प्रचार-प्रसार हो रहा है, और दूसरा हम
एक दुसरे की रचनात्मकता को समझते हुए व्यक्तिगत
संबंधों में भी बंध रहे हैं, जो कि ब्लॉगिंग का एक सुखद सकारात्मक पहलु है।
निश्चित रूप से यह लेखन के इतिहास में एक नया अध्याय है।
टिप्पणी करना : किसी रचना की महता पाठक के साथ समीक्षक पर निर्भर करती है, और हम जब किसी ब्लॉगर
की पोस्ट पर टिप्पणी कर रहे होते हैं तो हम उसकी रचना
की एक तरह से समीक्षा भी कर रहे होते हैं। यानि पढने के बाद एक समीक्षक के रूप में अपनी प्रतिक्रिया भी दर्ज करवा
रहे होते हैं। आपकी टिप्पणी लेखक का मार्गदर्शन करती
है, उसकी कमियां बताती
हैं, और उसे और अच्छा लिखने को प्रेरित करती हैं। लेकिन इसी
के उल्ट की गयी टिप्पणी
किसी लेखक को निराश भी कर सकती है और उसके मनोबल को ठेस भी पहुंचा सकती है। इसलिए
टिप्पणी करते वक़्त विवेक से काम लेन की आवश्यकता है.
टिप्पणी करने के लिए
आमंत्रित करना : यह भी ब्लॉग की एक ख़ास बात है। जब हम
किसी के ब्लॉग पर जाते हैं तो हमें लगता है कि इस पाठक
या ब्लॉगर की उपस्थिति हमारे ब्लॉग पर आवश्यक है
तो हम उसे आमंत्रित करते हैं कि इस रचना पर आपकी टिप्पणी अपेक्षित है, या इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। ऐसे में सामने वाले को भी बल मिलता है
और उत्सुकता बनी रहती है, किसी नए विषय को जानने की, कोई
नया दृष्टिकोण प्राप्त करने की। यह भी एक तरीका है अपनी सोच और कर्म को किसी व्यक्ति
तक पहुँचाने का, और यह
बहुत सहज है।
कुल मिलाकर कहा जा
सकता है कि ब्लॉगिंग का संसार विविधता भरा, रोचक, ज्ञानवर्धक
तथा अनन्त है। हमें अंतर्जाल के इस विशाल सागर में गोते
लगाने चाहिए। लेकिन सब काम करते हुए संभल कर चलना
चाहिए.....इतना ही "केवल"..! ब्लॉगरीय षटकर्म
वाली मेरी यह पोस्ट आदरणीय राजीव जी के ब्लॉग उफ़ ! ये ब्लॉगिंग पर भी प्रकाशित हुई है ...मैं
आदरणीय राजीव जी का आभारी हूँ ..!
आपके विचार अच्छे लगे।आपने ठीक ही कहा कि इसके माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार की दिशा में बल मिलेगा।मेरे मन की बात आपने कह दी। मेरे लिए यही काफी है। मेरे पोस्ट पर आपकी आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी।Good Morning.
जवाब देंहटाएंप्रभावी विश्लेषण ....... कई बाते जो नकारात्मक प्रतीत होती है उन्हें भी आपने एक सटीक और सकारात्मक सोच के साथ प्रस्तुत किया.....
जवाब देंहटाएंबढ़िया आवश्यक और हर ब्लागर के लिए आवश्यक लेख ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंअरे वाह!
जवाब देंहटाएंबढिया।
बहुत बढिया!!
ये आलेख देखकर लगता है कि एक शोधार्थी की सोच से निकली/उपजी रचना है। ब्लॉगजगत, खास कर हिन्दी ब्लॉगजगत के विभिन्न पहलुओं को परिभाषित करती रचना इसकी उपयोगिता और सार्थकता को भी रेखांकित करती है।
आपसे ऐसे ही कुछ और विश्लेषण की मांग है।
टिप्पणी मनोविज्ञान पर आपका शोध क्या कहता है, इस पर भी प्रकाश डालेंगे।
केवल राम जी , आपके विचार अच्छे लगे। अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंबढ़िया आवश्यक और हर ब्लागर के लिए आवश्यक लेख
जवाब देंहटाएंसकारात्मक सोच के साथ प्रस्तुत किया....
आपके विचार अच्छे लगे। .
विस्तार से वर्णन किया है आपने, अत्यंत ही उपयोगी जानकारी.
जवाब देंहटाएंहर कर्म को गूढ़ता से समझना आवश्यक है नये ब्लॉगरों के लिये।
जवाब देंहटाएंखटकरमी तस्वीर भा गई हमें तो.
जवाब देंहटाएंआपके विचारों से पूर्णतया सहमत हूँ। बहुत अच्छा लगा यह लेख।
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तार से चर्चा कर दी आपने.....
जवाब देंहटाएंबेहद विचारात्मक दृष्टिकोण, बहुत ही सुन्दरता से हर पक्ष को आपने सामने रखा है ...इस आलेख में बधाई ।
जवाब देंहटाएंएक शोधार्थी ही इतना गहन विश्लेषण कर सकता है…………सुन्दर और सार्थक लेखन के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंसमझो पी एच डी पूरी हुई…………पक्का है।
जवाब देंहटाएंbahut umda lekh.....badhai sweekar karen.shukriya blog pr aane k liye
जवाब देंहटाएंbahut umda lekh.....badhai sweekar karen.shukriya blog pr aane k liye
जवाब देंहटाएंaapka aklan aur prekshan dono sahi hai.....
जवाब देंहटाएंsadar.
bahut sakaratmak drashtikon se aapne is aalekh ko racha hai .bahut achcha laga .badhai .
जवाब देंहटाएंकेवल जी,
जवाब देंहटाएंतथ्यपरक विश्लेषण है, किन्तु ज्ञानभूख बहुत कुछ करवा देती है।
ब्लॉगिंग के षट्कर्मों की जानकारी बहुत बढ़िया रही!
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha aapane...
जवाब देंहटाएंye shatkarm hi hain jo har blogger ko dhyan main rakhane chahiye...
बहुत अच्छा शोध किया है आपने ब्लागिंग पर, हर पहलू पर सकारात्मक सोच का असर प्रभावी है
जवाब देंहटाएंआपसे पूर्णतया सहमत हूँ
शुभकामनाये
बढ़िया विश्लेषण !
जवाब देंहटाएंब्लागिंग के संदर्भ में पूर्णतः सार्थक विचार. आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तार से ब्लौगरी का विश्लेषण किया है आपने ...टिप्पणियां मनोबल बढाती हैं , इसलिए कमेन्ट लिखते समय इसका धयान तो रखना ही चाहिए ...विशेषकर नए ब्लॉगर के सन्दर्भ में ...वर्ना उनका उत्साहहीन हो जाना संभावित है ...
जवाब देंहटाएंआपकी प्रस्तुति बहुत प्रभावी है !
बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंआपके विचार अच्छे लगे।
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
जवाब देंहटाएंभाग कर शादी करनी हो तो सबसे अच्छा महूरत फरबरी माह मे
बहुत बढिया....प्रभावी विश्लेषण .......शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंकेवल राम जी आपका आलेख बहुत ही उपयोगी और सार्थकता से परिपूर्ण है, एक शोधकर्ता ही इस विषय की इतनी बारीकी से विवेचना कर सकता है. ब्लोगिंग के हर पक्ष को बेहद खूबसूरती से सामने रखा गया है, बहुत अच्छा प्रयास...बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट ,
जवाब देंहटाएंसहमति दर्ज कीजियेगा ...............
अच्छा ज्ञान मिला भाई...
जवाब देंहटाएंसफल और सुरक्षित ब्लॉग लेखन के टिप्स हैं ये.. ब्लोगेरों को मदद मिलेगी.. बहुत बहुत आभार केवल भाई..
जवाब देंहटाएंपहले पांच ब्लोगिंग के गुरमंत्र हैं ।
जवाब देंहटाएंआखिरी मन्त्र --टिप्पणी आमंत्रित करते हुए दूसरे की पसंद नापसंद का ध्यान रखना चाहिए ।
एक सिरे से सभी को आमंत्रित करना कभी कभी अवांछनीय लगता है ।
छठवां कर्म तो छठा हुआ कर्म है जी भीख मांगने जैसा :)
जवाब देंहटाएंकेवल राम जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा ब्लागरीय छः कर्मों का लेख और विश्लेषण |
रोचक आलेख ।
जवाब देंहटाएंटिप्पणी तो ऊर्जा का काम करती है ।वरिष्ठ मानते नही पर अच्छी तो उन्हे भी लगती है ।
बेहद विचारात्मक दृष्टिकोण, बहुत ही सुन्दरता से हर पक्ष को आपने सामने रखा है| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंKewal jee, you described the matter in detail and in technical way on blogging. It is very useful to newcomer, like me. Thanks a lot.
जवाब देंहटाएंWith best wishes-
सर जी....तुस्सी तो आजकल छा रहे हो. क्या बढ़िया विश्लेषण किया है! काफ़ी मेहनत करके आप ने लिखा है। बहुत बढ़िया.....आभार!
जवाब देंहटाएंअत्यंत व्यक्तिगत विषय होते हुये भी, आपने जिस प्रकार सहज रूप से अपनी बात रखी है वह वास्तव में मार्गदर्शन करती है!! धन्यवाद!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब, सार्थक पोस्ट. बहुत अच्छा विश्लेषण.
जवाब देंहटाएंकेवल राम जी
जवाब देंहटाएंगहन विश्लेषण
आपके विचार अच्छे लगे
......टिप्पणी ऊर्जा का काम करती है
बहुत मेहनत से तैयार की है ये पोस्ट केवल राम जी आप बहुत अच्छा लिख रहेँ और आपकी महनत तो रंग लाएगी
जवाब देंहटाएंएक अच्छे लेखक के लिए जो गुण होने चाहिए वे सब आपके अन्दर है
@ वंदना जी से सहमत हूँ
.........समझो पी एच डी पूरी हुई
बहुत ही सार्थक विचार प्रस्तुत किये है आपने ।
जवाब देंहटाएंअब तो एक उत्सुकता बनी रहती है कि आपके अगले लेख का विषय क्या होगा ?
बहुत बहुत आभार केवल राम भाई !
बहुत अच्छी सीख है बहुत-बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंसटीक विश्लेषण ....नये ब्लॉगरों के लिये उपयोगी जानकारी.बधाई ।
जवाब देंहटाएंआप की एक एक बात से सहमत हे जी, बहुत उम्दा लेख लिखा आप ने धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत उत्तम विचारणीय आलेख.
जवाब देंहटाएंसंग्रहणीय!!
केवल राम जी,
जवाब देंहटाएंब्लागिंग षटकर्म को विस्तार दिया और एक सार्थक पोस्ट तैयार हो गयी। इसे ही कहते हैं ब्लागिंग।
शुभकामनाएं एवं आभार
आदरणीया केवल राम जी ,
जवाब देंहटाएंआपने बहुत सराहनीय कार्य किया है!
आपके विचार अच्छे लगे!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - ठन-ठन गोपाल - क्या हमारे सांसद इतने गरीब हैं - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - ठन-ठन गोपाल - क्या हमारे सांसद इतने गरीब हैं - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
उपयोगी जानकारी ब्लॉगरों के लिये.सकारात्मक सोच के साथ.. शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपने तो नवीनतम शोध किया है जो सर्वमान्य है ..आपको शुभकामना
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी, सकारात्मक विचार और उम्दा लेख । बधाई स्वीकारे ।
जवाब देंहटाएंvery good and valuable article , it seems that i is written by a research scholar ..
जवाब देंहटाएंcongrats..
केवल राम जी,
जवाब देंहटाएंअच्छा विश्लेषण किया है आपने !
ब्लाग जगत की समृद्धि के लिए यह आवश्यक है !
साधुवाद !
अब तो मैं भी करता हूं पीएचडी के लिए आवेदन
जवाब देंहटाएंपर शुरू में ही वापिस दौड़ा दिया जाऊंगा
एम ए करने के लिए
जो मैं नहीं कर पाऊंगा
अगर एम ए करी तो
हिन्दी ब्लॉगिंग कैसे करूंगा
उसी में पिछड़ जाऊंगा
पी एच डी छोड़ दूंगा
पर इसमें पिछड़ना नहीं चाहूंगा
फिर आप ही बतलायें
कि कैसे इतनी सारी टिप्पणियां पाऊंगा
लार टपक रही है
मेरी सभी पोस्टों की
इतनी सारी टिप्पणियां देखकर
बतलायें कि आपके क्या हाल हैं
प्याज मेड इन चाइना
जेब में सबकी, मौजूद हैं बापू
शब्दों की ताली
आपके विचार अच्छे लगे
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंकुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ब्लॉगिंग का संसार विविधता भरा, रोचक , ज्ञानवर्धक तथा अनंत है । हमें अंतर्जाल के इस विशाल सागर में गोते लगाने चाहिए । लेकिन सब काम करते हुए संभल कर चलना चाहिए .....इतना ही "केवल" ..!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी ये पंक्तियां बहुत गहरा प्रभाव छोडती हैं, हर ब्लागर के लिए आवश्यक लेख ! शुभकामनायें
बहुत बढ़िया विश्लेषण.
जवाब देंहटाएंआपकी टिप्पणी लेखक का मार्गदर्शन करती है , उसकी कमियां बताती है , और उसे और अच्छा लिखने को प्रेरित करती है ।
लेकिन इसी के उल्ट की गयी टिप्पणी किसी लेखक को निराश भी कर सकती है और उसके मनोबल को ठेस भी पहुंचा सकती है
इन दोनों के बीच बहुत महीन सी लाइन होती है एक. बस अगर वो समझ जाये.
अब लगने लगा है की ब्लोगिंग में पीएच.डी.कर रहे हो, केवल जी
जवाब देंहटाएंRamji,very good view and point.Thank you.
जवाब देंहटाएंकेवल जी बहुत से एक बेहतरीन विश्लेषण और आज ऐसे लेखों की बहुत आवश्यकता है
जवाब देंहटाएं.
आज आप का लेखनी मैं वो रंग दिखाई दिया जिसकी आशा की जाती थी आपसे. आप ने सही कहा है की हमें सही मायने में पाठक बनना होगा. ऐसा होने के बाद हिंदी ब्लॉगजगत की तरकी मुमकिन है.
बहुत अच्छा लगा ये विस्शलेषण । लेकिन एक मत से सहमत नही कि अपनी हर पोस्ट के लिये सब को मेल भेजें। सारा दिन मेल बाक्स साफ करने मे ही लग जाता है। सब के ब्लाग पर जायें तो लोग खुद लिन्क देख लेते हैं। मेल से असुविधा होती है। सिर्फ उसे ही मेल करें जिस को आप चाहते हैं कि जरूरी है। धन्यवाद। आशीर्वाद।
जवाब देंहटाएंबेहद व्यापक ,बेहद प्रेरक और बेहद संवेदनशील लेख.बधाई.
जवाब देंहटाएंआपके निष्कर्ष से पूर्ण सहमती है.उत्कृष्ट परामर्श के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया शोध लेख है !
जवाब देंहटाएंवाह .... गहन अध्यन किया है आपने ब्लॉग जगत का और बहुत ही सार्थक लिखा है ... सभी बातें ध्यान रखने लायक हैं .... ब्लॉग जगत का भविष्य उज्जवल है ...
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएं"गौ माता की करूँ पुकार सुनिए और कम से ....." देखियेगा और अपने अनुपम विचारों से
हमारा मार्गदर्शन करें.
आप भी सादर आमंत्रित हैं,
http://sawaisinghrajprohit.blogspot.com पर आकर
हमारा हौसला बढाऐ और हमें भी धन्य करें.......
आपका अपना सवाई
तभी तो हिंदी में ब्लॉगरों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, और इससे दो लाभ प्रत्यक्ष रूप से हो रहें हैं एक तो हिंदी का प्रचार - प्रसार हो रहा है, और दूसरा हम एक दुसरे की रचनात्मकता को समझते हुए व्यक्तिगत संबंधों में भी बंध रहे हैं , जो कि ब्लॉगिंग का एक सुखद सकारात्मक पहलु है । निश्चित रूप से यह लेखन के इतिहास में एक नया अध्याय है ।
जवाब देंहटाएंये सच है कि हिंदी का प्रचार-प्रसार हो रहा है लोग कोशिश करके हिंदी लिख रहे हैं हालांकि कही-कहीं कुछ की रचनाओं में वर्तनी की गलतियां मिलती हैं फिर भी उनकी कोशिश अच्छी लगती है जबकि इसमें सशक्त होना चाहिए पर स्वानत: सुखाय होने के कारण इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता... और इसके अलावा एक-दूसरे से व्यक्तिगत रूप से जुड़ा़व भी महसूस होता है। हम एक-दूसरे को भले ही न जानते हों पर ब्लॉगिंग ने अपनेपन का भाव तो दिया ही है....
आपके इस प्रयास में ऐसी कोई बात ही नहीं है जिस पर असहमति जताई जाए...बिल्कुल ठीक रास्ते पर है आपकी शोध यात्रा...जारी रखिए....
जितना अच्छा आप लिखते है उतनी अच्छी आपकी सोच है। बेहतरीन विश्लेषण। आभार। मेरी रचना पर टिप्पणी कर मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंशोधपूर्ण आलेख है.हम जैसे नए ब्लागरों के लिए बहुत लाभकारी.
जवाब देंहटाएंआभार
अच्छा आलेख है। खासकर भामह को उद्धृत करते हुए अपनी बात रखना रूचिकर लगा और आपके साहित्यप्रेमी होने की पुष्टि हुई।
जवाब देंहटाएंबहुत deep study की है आपने... ये पोस्ट उसका नतीजा है... और मैं शत-प्रतिशत सहमत भी हूँ...
जवाब देंहटाएंभाई केवल रामजी वाकई बहुत सुन्दर पोस्ट है |बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंभाई केवल रामजी वाकई बहुत सुन्दर पोस्ट है |बहुत बहुत बधाई |
जवाब देंहटाएंvery novel and informative...
जवाब देंहटाएंvistrit vyakhya ki hai jo akshrashah satya hai...
जवाब देंहटाएंआज ४ फरवरी को आपकी यह सुन्दर भावमयी विचारोत्तेजक और ब्लॉग षट्कर्म को सिखाती यह पोस्ट चर्चामंच पर है... आपका धन्यवाद ..कृपया वह आ कर अपने विचारों से अवगत कराएं
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.uchcharan.com/2011/02/blog-post.html
बहुत सुन्दर केवल राम जी । आपका ब्लाग bolg world .com में जुङ गया है ।
जवाब देंहटाएंकृपया देख लें । और उचित सलाह भी दें । bolg world .com तक जाने के
लिये सत्यकीखोज @ आत्मग्यान की ब्लाग लिस्ट पर जाँय । धन्यवाद ।
yah post blogging pe shodh karne wala vyakti hee likh sakta hai.... bloggers ke liye acchi mardarshak hai yah...
जवाब देंहटाएंकेवल जी ,आपका लेख बहुत सार गर्भित है |
जवाब देंहटाएंआशा बधाई |
bahot hee achcha lekh...
जवाब देंहटाएंdhanyawaad aapka.
sirf itna achcha likhne ke liye hi nahi balki meri rachna padh kar aapne jo bahumulya wishleshan kiya uske liye bhi.
केवलराम जी,
जवाब देंहटाएंजितना अच्छा आप लिखते है, उतनी अच्छी आपकी सोच है।आपकी शोध यात्रा जारी रखिए... हम सबकी शुभकामनायें आपके साथ हैं....
ek sarv-upyogi aalekh keval jee..:)
जवाब देंहटाएंbahut achchha laga...padh kar..!
इन षटकर्मों से परिचय कराने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं---------
ध्यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।
बहुत सुन्दर आलेख !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर आलेख..
जवाब देंहटाएंआपकी तरह मैं भी सोच रहा था कि जिस माध्यम से हम अपनी अनुभूतियों को दुनिया के समक्ष अभिव्यक्त कर रहे हैं ,सैकड़ों लोगों से जुड़ रहे हैं , उसके बारे में , उसके महत्व पर कुछ लिखा जाए। यह सुखद है कि इस सोच को पहले आपने 'पर' दिए। यही तो ब्लाग का आनंद है कि हम अपने सपने को सैकड़ों आंखों में उड़ता हुआ देख सकते हैं। आपके विचारों की बिंदुवार जानकारी मैंने संकलित कर ली है।
जवाब देंहटाएं1. लेखन
2. पढना
3. पढने के लिए लिंक देना
4. ब्लॉग लेखन के लिए प्रोत्साहित करना
5. टिप्पणी करना
6. टिप्पणी करने के लिए आमंत्रित करना
मेरे ब्लाग में निरन्तर प्रोत्साहन के साथ उपस्थित रहने का धन्यवाद।
केवल जी, आपका ब्लाग हर मायने में कुछ अलग हटकर है. विशेष है. हार्दिक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंआपने तो बड़ी अच्छी तरह ब्लॉग-लेखन का विश्लेषण कर दिया है...हर पहलू पर गौर किया है...
जवाब देंहटाएंएक सम्पूर्ण आलेख.
अच्छा विश्लेषण किया है आपने !
जवाब देंहटाएंभाई केवल जी बहुत सुन्दर पोस्ट है नए ब्लागरों के लिए बहुत लाभकारी.....सार्थक पोस्ट इसे ही कहते हैं ब्लागिंग।
केवल जी ब्लॉगिंग के प्रति आपका दृष्टिकोण बहुत निखर रहा है ...आपकी दृष्टि समग्र रूप से केन्द्रित है ब्लॉग के विविध पहलुओं पर ...आपके इस आलेख से लगता है कि आपने कड़ी मेहनत के साथ और एक व्यापक दृष्टिकोण विकसित करते हुए अपने मत को रखा है ..जो कि आपसे अपेक्षा की जाती है ....बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंकम समय में आपने ब्लाग जगत को जिस बारीकी से अनुभव किया है, वह प्रशंसनीय है।
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा किया गया षट्कर्म विश्लेषण सभी ब्लागरों के लिए उपयोगी है।
इस उत्तम आलेख के लिए धन्यवाद, केवल जी।
उपरोक्त टिप्पणियां इंगित करती हैं कि कितना प्रभावशाली आलेख है - बधाई. मेरी राय "blogging सम्बन्धी जो कुछ भी मैंने ब्लॉग जगत में पढ़ा है आपका आलेख" उनमें सर्वश्रेष्ठ है लेकिन टिप्पणी के लिए आमंत्रित करने वाली बात से मैं भी इत्तफाक नहीं रखता
जवाब देंहटाएंकेवल राम जी!
जवाब देंहटाएंब्लागिंग से संबंधित आपका आलेख पढ़ कर प्रसन्नता हुई। प्रभावकारी लेखन के लिए बधाई। प्राय: इतिहास शासक-वर्ग का लिखा जाता है अथवा लिखवाया जाता है जनता का नहीं।ब्लागिंग जन- संवाद का जीवंत दस्तावेज है। इसके माध्यम से भावी-पीढ़ी को अतीत में झाँकने जन-आकाक्षाओं, जन-संस्कृति और जन-इतिहास को समझने में सहायता मिलेगी।
कृपया बसंत पर एक दोहा पढ़िए......
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शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।
गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥
सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
kewal ji
जवाब देंहटाएंaapne jo kuchh bhi likha hai uska ek ek shabd axhrshah sahi hai .aur bahut hi prabhavpradhan hai.
aapke in vicharon ka mai aur jaha tak mera khayal blog -jagat ke sabhi log tahe dil se swagat karenge.
itne sateek avam sarthk soch ke liye aapko hriday se dhanyvaad.
poonam
ये हुयी न ब्लोगिंग पर PHD करने वाली बात...शानदार.....
जवाब देंहटाएंAapne mere blog 'Mansa vacha karmna' per aakar mera utshah vardhan kiya,iske liye aapka bahut bahut shukriya.vastav me aap bloger
जवाब देंहटाएंshathkarm ko nibhane me lage hai.
Aapka yeh lekh aapki gahari soch
aur niskapat 'mansa' ka parichayak hai,jiska uddesya nichit hi'Satyam
sivam sundram' dikhlayi padta hai.
शानदार पोस्ट।
जवाब देंहटाएं...आपने इतना अच्छा लिखा है कि ब्लॉगिंग सार्थक लगने लगी।
बढि़या सूत्र.
जवाब देंहटाएंविलंबन के लिए खेद है, आकर्षक,एवं शोधपूर्ण , विश्लेषण अत्यंत उपयोगी है इस तरह का लेखन प्रायः ब्लॉग जगत में देखने को नहीं मिलता है .
जवाब देंहटाएंbadi pate ki baate kahi hai ,badhai .
जवाब देंहटाएंकेवल राम जी,
जवाब देंहटाएंयह तो आपने ब्लागिंग के मूल-मंत्र बता दिये.बहुत ही अच्छा व स्टीक विश्लेषण.अब पता लगा योग के अलावा ब्लागिंग में भी षटकर्म का सिद्धांत लागू होता हॆ.
Apka yeh lekh bahut hi sarthak aur preranadayee hai.log aaj bhi Geeta ,Ramayan uski gunvatta ki vajah se padhte hai,yeh batakar lakho lekhkano ko lekhan ki maulikta se parichit kara diya.thanks.
जवाब देंहटाएंकल 10/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !