04 मार्च 2012

सार्थक ब्लॉगिंग की ओर...3

गतांक से आगे.....जीवन का मंतव्य जब कला की साधना बन जाता है तो फिर जीवन उस कला में रम जाता है. फिर कला ही जीवन बन जाता है और ऐसा सर्जक निश्चित रूप से कला को नया आयाम देते हुए जीवन की सार्थकता को सिद्ध कर देता है. ब्लॉगिंग की जहाँ तक बात है यह तकनीक और कला का अद्भुत संगम है. आपके पास सृजन के इतने आयाम हैं कि आप किसी भी विषय को किसी भी तरह से लोगों तक पहुंचा सकते हैं, बेशर्त कि आप रोचकता और संजीदगी से सृजन को प्राथमिकता देते हों. अगर आप सृजन की प्राथमिकता और महता को समझते हैं तो आपके लिए ब्लॉगिंग रोचक और गंभीर होने के साथ-साथ जिम्मेवारी भरा कार्य हो सकता है. अगर ब्लॉगिंग के प्रति ऐसा दृष्टिकोण है तो निसंदेह आप आने वाली पीढ़ियों के लिए नए आयाम स्थापित कर रहे हैं, और सृजन को एक नया क्षितिज प्रदान कर रहे हैं.

मौलिकता : आपने अपने सृजन की प्राथमिकता को तय कर लिया. आप किसी भी विषय पर गहन चिंतन के
लिए तैयार हैं तो आपके समक्ष मौलिकता एक बड़ा प्रश्न हो सकता है. मौलिकता से अभिप्राय विषय के प्रति आपका दृष्टिकोण है, आपकी उस विषय के प्रति दृष्टि है. यूं तो हर विषय पर वर्षों से बहुत कुछ लिखा जाता रहा है और हो सकता है कि आपके समय में भी ऐसे विषयों पर बहुत कुछ लिखा जा रहा हो, लेकिन हर विषय में नवीनता और मौलिकता की सम्भावना सदा से छिपी रहती है. किसी भी विषय के अनेकों आयाम हो सकते हैं, हम किस आयाम पर केन्द्रित होकर विचार करते हैं यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है. एक ही विषय पर दो अलग-अलग विशेषज्ञ अपनी अलग - अलग मान्यताएं रख सकते हैं. यह मान्यातएं उनके चिंतन को हमारे सामने लाती हैं और यही मान्यताएं आगे चलकर उस विषय की नवीनता और मौलिकता को बनाये रखती हैं. ब्लॉगिंग की जो प्रकृति है यहाँ कोई भी विषय, अभिव्यक्ति का माध्यम बन सकता है. इसकी प्रकृति को समझते हुए हम उस विषय को किस तरह और कितने मौलिक तरीके से सांझा करते हैं यह हम पर निर्भर करता है. जितना मौलिक चिंतन करते हुए हम किसी विषय को सांझा करते हैं निश्चित रूप से वह विषय अपन प्रभाव छोड़ने में सक्षम होता है, और उसी विषय का प्रस्तुतीकरण  हमारे चिंतन और दर्शन को पाठकों तक पहुंचाने में कारगर सिद्ध होता है. मौलिकता विषय को नयी जान देती है और नए आयाम देती है. अगर हम किसी शुष्क विषय पर भी लिख रहे हैं तो हमारी मौलिक सोच और प्रस्तुतीकरण उस विषय को ग्राह्य और पठन के योग्य बनाता है. अनुभव के आधार  पर कह सकता हूँ कि ब्लॉगिंग में विषय को मौलिकता प्रदान करने की अनेकों संभावनाएं हैं और उन संभावनाओं का बेहतर उपयोग इस विधा को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.  

सम्बंधित विषय की पूर्ण जानकारी : यूं तो जब कोई किसी सृजन की तरफ अग्रसर होता है तो उसकी अपनी मानसिकता होती है, प्रारंभ में हो सकता है कि सृजन की तरफ आकृष्ट होना एक शौक हो, लेकिन जब हम उस विधा में रम जाते हैं तो यह हमारा स्वभाव बन जाता है और किसी चीज का स्वभाव होना उसकी गहराई और महता को समझते हुए उसका हो जाना है. यह मानवीय स्वभाव है कि जब वह अपने भावानुकूल विषय की तरफ बढ़ता है तो उसे आनंद आने लगता है और वही आनंद हमारी निरंतरता को बनाये रखता है. किसी विधा की तरफ बढ़ने से पहले उसकी जानकारी होना आवश्यक है और जब हम जानकारी के साथ आगे बढ़ते हैं तो परिपक्वता की तरफ अग्रसर होते हैं. जैसे अगर हम कविता लिखना चाहते हैं तो हमें यह जानकारी तो होनी ही चाहिए कि छंद क्या है? अलंकार क्या है? प्रतीक क्या होता है? बिम्ब किसे कहते हैं? आदि-आदि. साहित्य की विधाओं का अपना एक शास्त्र है इसी तरह ग़ज़ल, कहानी, निबंध आदि विधाओं के विषय में बात की जा सकती है. हालाँकि ब्लॉगिंग एक ऐसा मंच है जहाँ साहित्य, कला, इतिहास, रंगमंच, संगीत, संस्कृति, समाज आदि ना जाने कितने आयाम हैं जिनमें निरंतर बेहतर अभिव्यक्ति हो रही है और काफी हद तक संतोषजनक भी. लेकिन फिर भी हर आयाम का अपना एक शास्त्र है, अपने नियम हैं और अगर हमें उन नियमों की जानकारी है तो हम बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकते हैं. सम्बन्धित विषय की पूर्ण जानकारी होना नितांत आवश्यक है जिस विषय पर आप लिख रहे हैं. वर्ना अधूरी जानकारी ना तो आपने लिए उपयोगी होती है और ना किसी और के लिए. अगर हम पूरी जानकारी के साथ किसी विषय को पाठकों के साथ सांझा करते हैं तो निश्चित रूप से पाठक लाभान्वित होते हैं और आपके प्रति सम्मान के भाव उनके हृदय में पैदा होते हैं और आपसे बहुत कुछ सीखने की ललक उनमें बनी रहती है, और जब हमारा पाठक हमसे लाभान्वित हो रहा है तो हमारे श्रम का लाभ उसे मिल रहा है. ब्लॉगिंग की कोई सीमा नहीं आपके किसी पोस्ट को कौन सा पाठक पढ़ रहा है यह तय कर पाना कठिन है, अलग-अलग पाठक के लिए आपकी पोस्ट अपना महत्व रखती है. एक सामान्य पाठक के लिए वह जानकारी नवीन हो सकती है जिसे आप ब्लॉग पर पोस्ट के माध्यम से सांझा कर रहे हैं और वहीँ पर दूसरा पाठक उस विषय में अपनी जानकारी को और बढ़ाना चाहता हो और एक ऐसा भी पाठक है जो सब कुछ जानता है वह विश्लेषण, मौलिकता और प्रस्तुतीकरण  के लिए आपकी पोस्ट पढ़ रहा हो. जिस तरह लेखन के कई आयाम हो सकते हैं उसी से पठन के भी कई आयाम होते हैं, हर पाठक का अपना नजरिया होता है और एक लेखक को उन सब बातों के मध्यनजर अपने आपको प्रस्तुत करना होता है, लेकिन यह सब तभी संभव हो पाता है जब हम विषय को पूरी तरह से समझते हैं और उस समझ को सभी के साथ सांझा करना चाहते हैं. 

स्पष्टता : विचारों को अभिव्यक्त करना किसी हद तक कठिन नहीं है. लेकिन विचारों को स्पष्टता से अभिव्यक्ति करना यह एक कठिन कार्य है. हम किसी विषय पर लिख रहे हैं हमारे मन में विचारों का प्रबल प्रवाह बना हुआ है और हम एकाग्र होकर मन में आने वाले विचारों को अभिव्यक्त किये जा रहे हैं. लेकिन जब किसी विषय पर अपने विचारों को पूर्ण रूप से लिख लेने के बाद जब उसे पुनः पढ़ा जाता है तो बहुत सी खामियां नजर आ  सकती हैं जिन्हें हम दूर कर सकते हैं. विचार जब आ रहे हैं आने दिए जा सकते हैं लेकिन जब विषय को साँझा कर रहे हैं तो एक बार उन विचारों की महता और उनका मूल्यांकन करना जरुरी हो जाता है. जब हम तथ्यपूर्ण विषय जैसे इतिहास आदि पर लिख रहे हों तो और भी सजग रहने की आवश्यकता होती है, क्योँकि यहाँ हमें तथ्य को सही ढंग से प्रस्तुत करना है और तथ्य को प्रस्तुत करने के लिए हमें तर्क की आवश्यकता होती है, राजनीति जैसे विषयों पर लिखने के लिए हमें सापेक्ष दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है और सच को सच की तरह प्रस्तुत करना टेढ़ी खीर हो सकता है. लेकिन ब्लॉगिंग जिसे हम अभिव्यक्ति की नयी क्रांति कहते हैं उसके स्वभाव के अनुकूल अगर हम काम करते हैं तो निश्चित रूप से हम इसकी स्वायतता को बरकरार रख पायेंगे और विचारों की स्पष्टता इसके स्वभाव को और ज्यादा प्रभावी बनाएगी. विचारों की स्पष्टता के कारण लेखन में एक अजीब आकर्षण पैदा होता है और वही आकर्षण पाठक को बार-बार उस विषय को पढने को मजबूर करता है. धर्म जैसे विषय पर लिखने के लिए हमें तार्किकता नहीं बल्कि अनुभवजन्य समझ की जरूरत होती ही और अध्यात्म और दर्शन जैसे विषयों पर लिखने के लिए खुद अगर हम उस राह से गुजरे हैं तो बेहतर परिणाम सामने आ सकते हैं. कहने का अभिप्राय यह कि जैसा विषय हमारे पास है वैसे ही हम विचारों को अभिव्यक्त करें तो बेहतर होता है. विषय के प्रति समझ से ही, विषय के प्रति दृष्टिकोण बनता है और यह दृष्टिकोण जितना सकारत्मक होगा उतनी ही लेखन की सार्थकता होगी. लेकिन यह सार्थकता तभी बनी रहेगी जब हम तथ्यों के प्रति ईमानदार बने रहकर अपने विषय का प्रतिपादन करेंगे. शेष अगले अंक में....!!!  

19 टिप्‍पणियां:

  1. शुभकामनाये. ।

    भावपूर्ण प्रस्तुति ।

    आभार ।।

    सुलझे अंतरजाल पर, दिया दनादन छाप ।
    अध्ययन चिंतन के बिना, पूरा किया प्रलाप ।

    पूरा किया प्रलाप, अजी मौलिकता छोड़े ।
    दृष्टिकोण ना साफ़, विषय को तोड़-मरोड़े ।

    नहीं विधा की बात, स्वयं में उलझे उलझे ।
    करिये क्या उम्मीद, विषय प्रतिपादन सुलझे ।

    दिनेश की टिप्पणी-आपकी पोस्ट का लिंक

    dineshkidillagi.blogspot.com

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  2. ईमानदारी से लिखा ...सार्थक आलेख ...!!

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  3. नहीं विधा की बात, स्वयं में उलझे उलझे ।
    मत करना उम्मीद, नहीं प्रतिपादन सुलझे ।

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  4. वैचारिक बातें.... सच में अभिव्यक्ति नहीं विचारों की सपष्ट अभिव्यक्ति कठिन है......

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  5. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
    होली की शुभकामनाएँ!

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  6. केवल,... मुझे कुछ समझ आया कुछ नहीं ..पर जो समझ आया वो ईमानदारी से लिखा प्रतीत होता हैं ....एक बार नहीं अपितु कई बार पढ़ चुकी हूँ ...टिपण्णी लिखने में भी सहज नहीं हो पाती हूँ ..पर फिर भी हमेशा तुम्हारे ब्लॉग पर आती हूँ कई बार टिपण्णी नहीं लिख पाती हूँ ओके या बहुत अच्छा ,बढियां कहकर तुम्हारे मेहनती लेख के साथ इन्साफ करना ठीक नहीं लगता ...तुम इसी तरह लिखते रहो ..धन्यवाद !

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  7. ब्लॉगिंग की कोई सीमा नहीं आपके किसी पोस्ट को कौन सा पाठक पढ़ रहा है यह तय कर पाना कठिन है , अलग - अलग पाठक के लिए आपकी पोस्ट अपना महत्व रखती है.........गहन चिन्तन..... बेहतरीन प्रस्तुति !
    स: परिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं........

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  8. संग्रहणीय एवं उपयोगी लेख ...
    आभार आपका !

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  9. गहन चिंतन . विचारनीय लेख.

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  10. ब्लॉगिंग के लिए आवश्यक विभिन्न पहलुओं पर आपके विचार बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. और इस विधा को सशक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है...
    " निसंदेह आप आने वाली पीढ़ियों के लिए नए आयाम स्थापित कर रहे हैं , और सृजन को एक नया क्षितिज प्रदान कर रहे हैं "
    उपयोगी जानकारी से भरे इस आलेख के लिए बहुत-बहुत आभार ...

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  11. आपकी पोस्ट बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है. इतने गंभीर विषय लेकर आप चलते हैं कि इसको पढने के लिए तनहा होना बहुत जरूरी हो जाता है. और फिर दुबारा पढ़कर ही कुछ पल्ले पड़ता है. सचमुच आपकी इस तन्मयता का कायल हूँ. अब ब्लॉग्गिंग जैसे नए व नीरस विषय को उठाकर आपने एक सार्थक बहस छेड़ ही है. आभार !!
    होली की अनेकानेक शुभकामनाएं.

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  12. जितना मौलिक चिंतन करते हुए हम किसी विषय को सांझा करते हैं निचित रूप से वह विषय अपन प्रभाव छोड़ने में सक्षम होता है , और उसी विषय का प्रस्तुतीकरण हमारे चिंतन और दर्शन को पाठकों तक पहुंचाने में कारगर सिद्ध होता है . मौलिकता विषय को नयी जान देती है और नए आयाम देती है .ati uttam ,holi ke pavan parv ki badhai

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  13. कल ही एक मित्र ने चर्चा के दौरान कहा कि - केवल राम जो लिखता है वह समझ नहीं आता, क्या लिख गया और मेरी भी समझ नहीं आता कि क्या कमेंट लिखुं।---------- मेरी भी आज यही स्थिति है क्योंकि………………आज होली है। इसलिए इसी से काम चलाएं, "हम आपकी लेखनी के कायल हैं, इतना अच्छा आप कैसे लिख लेते हैं?" :):)

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  14. जब हम तथ्यपूर्ण विषय जैसे इतिहास आदि पर लिख रहे हों तो और भी सजग रहने की आवश्यकता होती है , क्योँकि यहाँ हमें तथ्य को सही ढंग से प्रस्तुत करना है और तथ्य को प्रस्तुत करने के लिए हमें तर्क की आवश्यकता होती है , राजनीति जैसे विषयों पर लिखने के लिए हमें सापेक्ष दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है और सच को सच की तरह प्रस्तुत करना टेढ़ी खीर हो सकता है . लेकिन ब्लॉगिंग जिसे हम अभिव्यक्ति की नयी क्रांति कहते हैं उसके स्वभाव के अनुकूल अगर हम काम करते हैं तो निश्चित रूप से हम इसकी स्वायतता को बरकरार रख पायेंगे और विचारों की स्पष्टता इसके स्वभाव को और ज्यादा प्रभावी बनाएगी . विचारों की स्पष्टता के कारण लेखन में एक अजीब आकर्षण पैदा होता है और वही आकर्षण पाठक को बार - बार उस विषय को पढने को मजबूर करता है

    lgta hai bloging par kitaab likhi ja rahi hai ....
    agrim shubhkamnayein .....:))

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  15. ब्लॉगिंग में मौलिक अभिव्यक्ति की सहजता बहुत मायने रखती है , वैसे तो पाठक वर्ग पर निर्भर करता है वह क्या पढना चाहता है !
    अच्छी प्रस्तुति !

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  16. बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है....
    क्यों नहीं.....ब्लॉगिंग के विभिन्न पहलुओं पर लिखा है जी सोचने पर विवश तो होना ही पड़ेगा मैं तो कहता हूँ केवल राम की पोस्ट पढनी है तो फुर्सत के समय में पढ़े ....तभी समझ में आयेगा अगर जल्दबाजी में पढेंगे तो ......सब ऊपर से निकल जायेगा
    ................शुभकामनाये केवल जी

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  17. बेनामी24/3/12 6:48 pm

    मौलिकता आवश्यक है किसी विषय के प्रतिपादन में ....सार्थक पोस्ट .....!

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जब भी आप आओ , मुझे सुझाब जरुर दो.
कुछ कह कर बात ऐसी,मुझे ख्वाब जरुर दो.
ताकि मैं आगे बढ सकूँ........केवल राम.