रात को
अपने सब काम निपटाने के बाद मन किया थोडा सा नेट पर देखा जाये क्या चल रहा है, इसलिए
जीमेल खोल दिया, यहाँ कोई नहीं दिखाई दिया, ठीक है फेसबुक की तरफ बढ़ते हैं. यहाँ कुछ अपडेट्स
हैं चलो पढ़ते हैं, लाइक करते हैं, टिप्पणी करने से मुझे गुरेज है. फिर चलो नींद आ रही है सो जाता हूँ. सोने
से पहले मुझे आदत है कुछ पढने की, किताब पढ़ लेता हूँ और खासकर कोई अध्यात्म की किताब, आज ना जाने मन क्योँ कह रहा
है जल्दी सोया जाए. ठीक है सो लेते हैं. लाईट बंद करके हम सो गए. अब
असली माजरा शुरू होता है. मैं अब होश में नहीं हूँ नींद ने पूरी तरह से मुझे
जकड लिया है शांत चित होकर सोया हूँ नींद भी अच्छी आ रही है. रात के 11 बजकर 45 मिनट पर सोया हूँ, इसलिए अगला दिन शुरू होने
में 15 मिनट हैं ठीक है सो लेता
हूँ. यूं मुझे सपने देखने की आदत नहीं है, और जब भी सपने देखता हूँ बंद
आँखों से नहीं बल्कि खुली आँखों से….आज ना तो मेरी आँखें पूरी तरह से
बंद हैं ना ही खुली.......मेरी आँखों में एक प्रश्नचिन्ह है??? लेकिन फिर भी खुद को
संभाले हुए हूँ और पूरी तत्परता से सोने की तैयारी कर रहा हूँ....हा..हा..हा..सोने के लिए भी किसी को क्या तैयारी करनी पड़ती है? मैं भी क्या
कमाल हूँ......!
अब धीरे-धीरे
स्वप्न आगे बढ़ता है. मैं तैयार होकर घर से निकला हूँ. आज ऑफिस में कार्यक्रम है
जल्दी जाना है, जरा अच्छे
बनके जाना है. ब्रांडेड कपडे और जूते पहने हैं, घडी भी विदेशी कम्पनी की है एकदम मस्त
लग रहा हूँ. अचानक दृश्य बदलता है. अपनी गाड़ी में हूँ कहीं से आवाज आ रही है देश में भ्रष्टाचार बढ़
रहा है...मैं मन ही मन सोचता हूँ यह कौन सी नयी बात है यह तो आजकल हर कोई कहता है. हम गाड़ी की रेस बढाते हैं
आगे बढ़ते हैं. फिर थोड़ी दूर जाकर जाम लगा है लोग उस रैली के लिए आ रहे हैं
और बड़ा उत्साह है. हर किसी के मन में जज्बा है...हर कोई कह
रहा है ‘अब तो मरकर ही दम लेंगे’ मैं फिर हँसता हूँ, ‘अरे मर कर कौन
है जो दम लेता है, और जो दम लेता है उसे मरा हुआ नहीं कहते’....मुझे हंसी आती है लोगों की
बातों पर कितने भोले हैं बेचारे बात करने से पहले सोचते तक नहीं. चलो क्या
कहा जाए...मैं मशगूल हूँ उनकी बातों पर चिंतन में और मुझे ऑफिस की याद
आती है. हाय!!!!!!! हाय!!!!!!!!!!!!!!! अब क्या होगा? फिर उधेड़बुन है....!
इतने में फिर दृश्य बदलता है कहीं से आवाज आती है आज पूरे शहर के लोग यहाँ हैं और आप
में से हर कोई जानता है कि देश में भ्रष्टाचार बढ़ रह है...सब तालियाँ बजाते हैं, अपने घर और शहर की बेइज्जती करते हुए उनके चेहरे पर जो ख़ुशी छलक रही थी उसका कोई अनुमान
नहीं.... मैं आगे बढ़ता हूँ. मंच की तरफ देखता हूँ तो एक सुन्दर सा मंच सजा
है 10-12 लोग बैठे हैं सबकी
निगाहें मंच की और हैं इतने में एक व्यक्ति खड़ा होता है और मंच से लोगों को
संबोधित करना शुरू करता है. ‘आप सभी आज यहाँ आये हैं देश की समस्याओं पर चिंतन
करने के लिए...आपको पता है देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है, सब तालियाँ बजाते हैं. भाषणकर्ता के
चेहरे पर ख़ुशी छा जाती है, वह और जोश से बोलना शुरू करता है. इस देश की संसद में बैठे लोग भ्रष्ट हैं, सब के सब चोर हैं इन लोगों
ने देश को बेचने की योजना बना रखी है और आये दिन यह इस देश को बेच रहे हैं
विदेशियों के हाथों और खुद भी इस देश को लूटने के लिए तैयार बैठे हैं. वह सीधे संवाद की मुद्रा में
लोगों से प्रश्न करता है......क्या आपको पता है अगर हमारा
यह कानून पास हो जाए तो देश के आधे से ज्यादा मंत्री जेल में होंगे, फिर तालियाँ....फिर वह
नाम गिनना शुरू करता है...10-15 नाम जब तक नहीं लिए जाते सांस ही नहीं लेता है....वाह क्या
बात है....इधर भाषणकर्ता भाषण देने में मशगूल है ...अचानक वह अपने सामने देखता है और उसका जोश कम हो जाता है??? सबके चेहरे पर मायूसी छा
गयी...अरे क्या हुआ किसी की समझ में नहीं आ रहा था ‘उसने भाषण देना इसलिए बंद कर
दिया क्योँकि ना तो वहां पर्याप्त भीड़ थी और न ही कोई कैमरा उसकी इन
बातों को रिकॉर्ड कर रहा था, वहां न कोई माइक था और न ही कैमरे की फ्लैश बार बार चमक रही थी....चलो ठीक है. बोलने वाला अपना भाषण संक्षिप्त कर देता है. फिर एक मंत्रणा होती है. देश से भ्रष्टाचार
मिटाना है, इसलिए अब हम सामूहिक अनशन करेंगे, और यह दूसरी अगस्त
क्रांति होगी....लोग भीड़ में कह रहे हैं...जी नहीं यह
तीसरी अगस्त क्रांति होगी...क्योँकि आपकी इस बेलगाम टीम के
वरिष्ठ सदस्य ने पिछले वर्ष 2 बार अनशन किया था आप उनके योगदान को क्योँ भूल
रहे हैं...जी नहीं मेरा मतलब यह नहीं था....फिर सन्नाटा...अब
अनशन शुरू होता है...अच्छा खासा मंच सजता है..नारे लगते हैं...और लोग आगे
बढ़ते हैं...!!!!!!
इतने में एक आदमी आता है और वह पूछता है अरे भाई ‘अगर आपका यह
कानून पास हो गया तो में भी जेल में हूँगा’ अच्छा कोई बात नहीं हम उस मांग को हटा देते हैं और मुझे हंसी आती है. हमारा मकसद तो देश की एक विशेष पार्टी का विरोध करना है. इसलिए हम
कानून का मुखौटा पहनकर, अनशन को हथियार बनाकर
लोगों की भीड़ जुटाकर अपना मतलब सिद्ध कर रहे हैं. कल हमें भी वहीँ जाने की इच्छा है जहाँ यह सब चोर बैठे हैं. सामने से वह व्यक्ति प्रश्न करता है. आप भी वहां पहुँच कर ऐसे ही हो जाओगे....नेता कहता है..तब का तब देखा जाएगा...आम आदमी का ध्यान उधर नहीं है...पर्दे के पीछे एक नया खेल खेला जा रहा है.....भ्रष्टाचार को मिटाने की आस लिए जनता की आँखों की चमक बढ़ रही है...अब तो सब सही
होकर ही रहेगा ....इतने में फिर दृश्य बदल जाता है ....! बाकी दृश्य अगले अंकमें..!!!
सलवारी बाबा ने क्रांति का भट्ठा बैठा दिया। अन्ना ने भी आज अपनी टीम भंग कर दी। जनता जागते-जागते सो रही है। ऐसे में अधूरी क्रांति का स्वप्न आना स्वाभाविक है।
जवाब देंहटाएंसपने में भ्रष्ट्राचार देखना छोड़ो। कुछ मधुर यादों को संजोया करो। जिससे सपने भी अच्छे आएं। इस तरह के सपने कड़ूवे होते हैं जो मुंह का जायका बदल देते हैं।
उम्मीद है कभी अधूरी क्रांति पूरी होगी। स्वप्न सुखद होगें।
और जब ऐसे सपने आएं तो करवट बदल लिए करो। समझे। :))
बहुत सुंदर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंअगले अंक का इंतजार
अच्छे लोग तपे जा रहे हैं, भ्रष्टाचारियों को तो घोड़े बेच के सोने की आदत है।
जवाब देंहटाएंकुछ बदले यही आशाएं संजोये है आम आदमी तो..... कभी तो टूटे इन लोगों की नींद
जवाब देंहटाएंसभी इसी इंतजार में हैं कब भ्रष्टाचार मिटे लेकिन कुछ आसार नजर नही आते..अधूरी क्रांति में हमारे स्वप्न का क्या होगा.. इंतजार है..
जवाब देंहटाएंजब चारो तरफ इसी का बोलबाला है तो सपने कैसे अछूते रह सकेंगे भला असर होने ही वाला है उनपर भी... अब देखो जैसा सुनते आयें हैं अब तक कि पाप का घड़ा एक न एक दिन फूटता है, कब आएगा वो दिन कब होगी ये अधूरी क्रांति पूरी....?
जवाब देंहटाएंइंतज़ार तो सभी को है ... हृष्ट को भी अब तो इंतज़ार होगा की देखें क्या हो सकता है इस देश में ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कटाक्ष
जवाब देंहटाएंअगले अंक का इंतजार रहेगा....
भ्रष्टाचार का अन्त तब तक नही जब तक हम यह विश्लेषण करना ना शुरु कर दे कि हम स्वयं कितने भ्रष्ट आचारण में लिप्त है। भ्रष्टाचार वो नही जिससे समाज को आर्थिक रूप से परेशानी होती है, इसमें बहुत से और भी आचरण आते हैं.............
जवाब देंहटाएंबंद आँखों के सपने कहाँ कभी सच होते हैं !
जवाब देंहटाएंअब भ्रष्टाचार को मिटाना भी एक दिवास्वप्न जैसा ही हो गया है.
जवाब देंहटाएंआम आदमी की इच्छा तो अब भी वही है सिर्फ नेताओं का द्रष्टिकोण बदल गया है.
सही कहा आपने... विचारणीय है....
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने... बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लेख है मित्र पहले देश को बचाओ नहीं तो इस्लाम निगल जाएगा और लडाई तो हम लड़ते रहेगे. इतने सुन्दर लेख के लिए बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंदृश्य बदलते बदलते नींद कब आई केवल भाई.
जवाब देंहटाएंसब सो ही रहें है जी.
चलते चलते आपने पूरा स्वप्न देख लिया क्या.
सपना तो सपना है...
जवाब देंहटाएंहकीकत बेहतर हो जाये बस....
लिखने का तरीक बहुत अच्छा लगा और बढ़िया कटाक्ष लगा |अगला कब ?
जवाब देंहटाएंआशा
आज हम भ्रष्टाचार पर बात कर रहे हैं , और कुछ नहीं तो यह असर तो हुआ ही है !
जवाब देंहटाएंऔर क्या देखा सपने में , देखते हैं अगली किश्त में !
jai ho....:)
जवाब देंहटाएंअच्छे सपने आएंगे तो पूरे भी होंगे .
जवाब देंहटाएं.
बढिया प्रस्तुति !!
केवल शिक्षा ही है एक उपाय
जवाब देंहटाएंहूँ..दृश्य दर दृश्य अलग अंदाज में अपनी बात कहती हुई..रोचक..
जवाब देंहटाएंSamsya sachmuch vicharneey hai.
जवाब देंहटाएं............
कितनी बदल रही है हिन्दी!
बहुत ही बेहतरीन और प्रभावपूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग
जीवन विचार पर आपका हार्दिक स्वागत है।
सोचना मतलब छटपटाना है।
जवाब देंहटाएंआपने स्वप्न कहाँ देखा, केवल भाई.
जवाब देंहटाएंसच और यथार्थ ही तो देखा है.
लगता है आपको नींद आई ही नही.
नींद महारानी तैय्यारी करने पर दगा ही देतीं हैं जी.
आम आदमी के स्वप्न कहाँ पूरे होते हैं..किसको चिंता है उसकी...
जवाब देंहटाएंबाकी दृश्यों का इंतज़ार है
जवाब देंहटाएंआम आदमी के पास दो ही विकल्प उपलब्ध हैं या तो नाग नाथ या फिर साप नाथ. करना दोनोको एक ही काम अपनी वलुए बढाकर अपनी तिजोरी भरना.
जवाब देंहटाएंजनता की सेवा करने के दिन गए.
इन दृश्यों को सिर्फ़ सपने में देखने की ज़रूरत नहीं, हालात इतने बदतर हो गए हैं कि अब नींद से जागने का वक़्त आ गया है।
जवाब देंहटाएंकेवल राम जी,बहुत दिनों के बाद आपके पोस्ट पर आया हूं। आपका यह पोस्ट बहुत ही अच्छा लगा। हमको तो ऐसा लगता है कि जनता यह सोचकर चुपचाप बैठी है कि एक न एक दिन ऐसे लोग चिर निद्रा से ऊठेंगे,तब कुछ संभव हो सकता है। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजनता है कि नींद में भी चैन नहीं ले पाती और जिन्हें भरोसा करके चुना था सो रहे हैं चैन से... आएगा वो दिन भी जब इनकी भी नींद उड़ जाएगी और उड़ाने वाली होगी यही जनता... रोचक प्रस्तुति
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