चाँद से चेहरे को आँचल में छुपाये रखना
मेरी तस्वीर को सीने से लगाये रखना
तेरी जुल्फों की हवा लगती है सबको भली
अपने दामन को जमाने से बचाए रखना
फिर याद आएगी मोहब्बत मेरी इक रोज तुझे
अपनी पलकों को मेरी राहों में बिछाये रखना
इश्क बदनाम न हो जाये ज़माने में कहीं
हर शहरी से मेरा नाम छुपाये रखना
सपना है ' केवल' प्यार यहाँ बेहद दर्द है
कहे लाख जमाना , तुम मुझे अपनाये रखना
हार के फिर जिता दी है बाजी तुमने मेरी
प्यार के इस खेल में, मुझे खिलाडी बनाये रखना
बढ़िया लेखन चल रहा है। चंबा की खूबसूरती आपके जीवन को मधुरता दे...बाहरी आबोहवा छू भी न पाए..यही दुआ है।
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है, आप बहुत ही अच्छा लिखते है....आज पहली बार आप के ब्लॉग पर आने का अवसर मिला ,काफी कुछ पढ़ा ,सब के बारे में अलग से तो नहीं कह पाऊँगी,आप की कवितायेँ,ग़ज़लें विशेष पसंद आई , बधाई स्वीकारें ....
जवाब देंहटाएंक्या बात है ..प्यार के इस मौसम में प्यारे एहसास और सुन्दर रचना.बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंओह! चंदा को चंबा लिखा बैठा हूँ!
जवाब देंहटाएं