तन्हा रहना गर आसां होता, मिलन को कहता क्यों ?
हिज्र-ए-गम तुम्हारा न होता, मौन फिर रहता क्योँ ?
पलक झपकते, आँख खुलते, याद आती तुम्हारी
ख्वाब तुम्हारा न होता, अकेला रोता रहता क्योँ?
दिल की हर धड़कन में अजीब हलचल समाई
सांसे बेचैन न होती, तो तडपता रहता क्योँ ?
कैसे कहूँ तुम्हारे बिना, हालात क्या हैं मेरे
गर इश्क बयां-ए-जुबां होता, तो चुप रहता क्योँ ?
हिज्र-ए-गम तुम्हारा न होता, मौन फिर रहता क्योँ ?
पलक झपकते, आँख खुलते, याद आती तुम्हारी
ख्वाब तुम्हारा न होता, अकेला रोता रहता क्योँ?
दिल की हर धड़कन में अजीब हलचल समाई
सांसे बेचैन न होती, तो तडपता रहता क्योँ ?
कैसे कहूँ तुम्हारे बिना, हालात क्या हैं मेरे
गर इश्क बयां-ए-जुबां होता, तो चुप रहता क्योँ ?
कैसे कहूँ तुम्हारे बिना, हालात क्या हैं मेरे
जवाब देंहटाएंगर इश्क बयां-ए-जुबां होता, तो चुप रहता क्योँ ?
एकदम से दिल को छूने वाली पंक्तियां। बहुत आभार।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
फ़ुरसत में … हिन्दी दिवस कुछ तू-तू मैं-मैं, कुछ मन की बातें और दो क्षणिकाएं, मनोज कुमार, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
दिल की हर धड़कन में अजीब हलचल समाई
जवाब देंहटाएंसांसे बेचैन न होती, तो तडपता रहता क्योँ ?nice