तुमसे हो रहा जो आज , यह मिलन आखिरी है ।
जाने किस मंजिल और किस राह के हम राही
दिल में है जो कशिश , उसकी चुभन आखिरी है ।
वयां करना कैसे छोड़ें हम इश्क -ए - जज्बात
तुम्हें अपना बनाने का, यह जतन आखिरी है
तुम ख्वाबों में रहोगे, या दिल में तस्वीर बनकर
परवाने का शम्मा पर , यह जलन आखिरी है ।
बनते थे तुम्हीं से ,यह गीत और ग़ज़ल मेरे
बजा रहा हूँ जिसे आज वो धुन आखिरी है
लाख इबादत की हमने आपकी मोहब्बत में
केवल जोड़ रहा हूँ , जो हाथ वो नमन आखिरी है
बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं आपने..... सुंदर रचना
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