जब भी देखता हूँ
आकाश की तरफ
मेरी कल्पना की सीमा से परे ....!
मेरे सपनों का संसार
चाँद तारों में नजर आता है ।
चमकते चाँद में
जीवन का सार,
उभर आता है ..निखर आता है
तारों की टिमटिमाहट में
ख्वाबों की बुनाबट में
एक तारा टूटते , मेरा घर लूटते हुए ,
यादों के मंजर में
अपनों का संसार
बिखर जाता है , टूट जाता है ।
चाँद भी आकाश में
सदा नहीं चमकता ,
कभी पूर्ण प्रकाश , कभी नहीं दिखता...!
आकाश की तरफ
मेरी कल्पना की सीमा से परे ....!
मेरे सपनों का संसार
चाँद तारों में नजर आता है ।
जीवन का सार,
उभर आता है ..निखर आता है
तारों की टिमटिमाहट में
ख्वाबों की बुनाबट में
एक तारा टूटते , मेरा घर लूटते हुए ,
यादों के मंजर में
अपनों का संसार
बिखर जाता है , टूट जाता है ।
चाँद भी आकाश में
सदा नहीं चमकता ,
कभी पूर्ण प्रकाश , कभी नहीं दिखता...!
जिन्दगी के इस खेल में
अपने- परायों के मेल ,
अजनबी सा अपनापन
कुछ ठहरा सा खालीपन
यादों की उलझन .....!
सब कुछ सोचने के बाद
कुछ पाने -कुछ खोने के बाद
मुझे मेरा अस्तित्व याद आता है ।
बहुत सुन्दर कविता और शानदार भावनात्मक अभिव्यक्ति......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और प्रेरक रचना। नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिये, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता ...
जवाब देंहटाएंअपने- परायों के मेल ,
जवाब देंहटाएंअजनबी सा अपनापन
कुछ ठहरा सा खालीपन
यादों की उलझन .....!
सब कुछ सोचने के बाद
कुछ पाने -कुछ खोने के बाद
मुझे मेरा अस्तित्व याद आता है ।
यही तो जिंदगी का खेल है.... सही कहा आपने.... सुंदर अभिव्यक्ति
बेहद शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता और शानदार भावनात्मक अभिव्यक्ति|
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंआपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारिफ़ है! बधाई!
3/10
जवाब देंहटाएंरचना प्रभावित नहीं करती क्योंकि दिल तक पहुचती ही नहीं. चाँद और तारों के साथ जीवन का तादम्य स्थापित करने की चेष्टा सफल नहीं हुयी.
भैया केवल राम जी,
जवाब देंहटाएंकई जगह मैंने देखा की टिप्पणियाँ लिखते समय आप शेर को शेयर लिखते हो ,अच्छा नहीं लगता.
दोनों शब्द एकदम अलग अलग मतलब वाले हैं.
अपने- परायों के मेल ,
जवाब देंहटाएंअजनबी सा अपनापन
कुछ ठहरा सा खालीपन
यादों की उलझन .....!
सब कुछ सोचने के बाद
कुछ पाने -कुछ खोने के बाद
मुझे मेरा अस्तित्व याद आता है ।
......इसी का नाम जीवन है ... न जाने कितने उतार चढाव से गुजरना पड़ता है ...
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति.....
सराहनीय लेखन....हेतु बधाइयाँ...ऽ. ऽ.
जवाब देंहटाएं==========================
नए दौर में ये इजाफ़ा हुआ है।
जो बोरा कभी था लिफ़ाफ़ा हुआ है॥
जिन्हें शौक है थूकने - चाटने का
वो कहते हैं इससे मुनाफ़ा हुआ है॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
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सुन्दर अभिव्यक्ति... इसी को जीवन कहते हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ....
जवाब देंहटाएंजिन्दगी के इस खेल में
जवाब देंहटाएंअपने- परायों के मेल ,
अजनबी सा अपनापन
कुछ ठहरा सा खालीपन
यादों की उलझन .....!
सब कुछ सोचने के बाद
कुछ पाने -कुछ खोने के बाद
मुझे मेरा अस्तित्व याद आता है ।
जीवन की यही कशमकश हमेशा लिखने को उकसाती है। और भाव शब्द बन कर बह जाते हैं जीवन के भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति।
अस्तित्व बोध ही बड़ी बात है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंजिंदगी सचमुच में खोने पाने का ही नाम है. सुंदर अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
bahut achchi lagi.
जवाब देंहटाएं'चाँद भी आकाश में
जवाब देंहटाएंसदा नहीं चमकता '
बहुत खूब!
अच्छी कविता है .'स्व अस्तित्व गाहे बगाहे अपनी याद दिलाता रहता है.
जिन्दगी के इस खेल में
जवाब देंहटाएंअपने- परायों के मेल ,
अजनबी सा अपनापन
कुछ ठहरा सा खालीपन
यादों की उलझन .....!
सब कुछ सोचने के बाद
कुछ पाने -कुछ खोने के बाद
मुझे मेरा अस्तित्व याद आता है ।
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति.....यथार्थवादी चिंतन...अस्तित्व.........