11 दिसंबर 2010

चलो मयखाने में


एक बार मेरे अनुरोध पर
तुम चलो मयखाने में
फिर देखना .......
क्या मजा आता है,
पीने और पिलाने में ।

वहां ना कोई साजिश
ना कोई भेदभाव
ना कोई नफरत की दीवार
जितनी पीयेंगे
उतना खुमार ,उतना प्यार ।

.. इस नफरत की दुनिया की चीजों से
तो बेहतर है, मेरे दोस्तो...!
मयखाने का शराब और सिगार
तुम चलो मेरे अनुरोध पर एक बार ।

वहां हम ना जाति की बात करेंगे
ना होगा भाषा की भिन्नता पर विचार
ना होगी सीमाओं की बातें
ना नफरत,ना तकरार...
मेरे मयखाने की मेज पर
तुम नजर टिकाना, एक बार
उसकी चमकीली तह तुम्हें बता देगी
समता...को समझता है समझदार
उसके चारों तरफ की कुर्सियां ,
कर देंगी मिलकर रहने का इजहार ।

तुम मयखाने में
बेशक खूब मत पीना
ना ही पिलाना
बस एक बार
तुम महसूस करना
मयखाने का संसार

52 टिप्‍पणियां:

  1. वहां हम ना जाति की बात करेंगे
    ना होगा भाषा की भिन्नता पर विचार
    ना होगी सीमाओं की बातें
    ना नफरत ,ना तकरार.

    .

    केवल जी आप के सोंच बहुत अच्छी है...

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  2. ... क्या मजा आता है, पीने और पिलाने में ।
    ,,,,,,,बढ़िया अंदाज़ है..जमे रहें.

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  3. केवल भाई
    कैसे लिख जाते हो यार ऐसा सब..........

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  4. केवल राम जी बढ़िया लगी ये मधुशाला भी |

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  5. "वहां हम ना जाति की बात करेंगे
    ना होगा भाषा की भिन्नता पर विचार
    ना होगी सीमाओं की बातें
    ना नफरत ,ना तकरार"

    सुन्दर रचना!


    मेरी भी कुछ पंक्तिया हैं-

    "अभी भी वक्त है जी ले,
    मेरे कहने से ही सही,
    आज फिर थोड़ी सी पी ले"

    आपका साधुवाद.

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  6. अति सुंदर कृति!...बहुत बढिया,,,,

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  7. नई मधुशाला रच रहे हैं आप... सुन्दर कविता..

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  8. ना कोई भेदभाव

    ना कोई नफरत की दीवार

    जितनी पीयेंगे

    उतना खुमार ,उतना प्यार


    sunder ahsas

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  9. "वहां हम ना जाति की बात करेंगे
    ना होगा भाषा की भिन्नता पर विचार
    ना होगी सीमाओं की बातें
    ना नफरत ,ना तकरार"

    बहुत खूब .....

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  10. राह पकड़ कर एक चला चल पा जायेगा मधुशाला ...

    अच्छी रचना ...पर मयखाने के साथ सहमति नहीं ...

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  11. चलो कोई तो जगह है जहाँ सदभावना आज भी है
    जहाँ भेदभाव नही है

    काश हर कोई एक बार जाये इस मयखाने में
    तो शायद नफरत मिट जाये इस जमाने मे

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  12. सुन्दर भाव ,अच्छी कविता..

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  13. बिलकुल सच्ची बात कही आप ने अपनी इस सुंदर रचना मे धन्यवाद

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  14. मयखाने का शराब और सिगार
    तुम चलो मेरे अनुरोध पर एक बार ।

    वहां हम ना जाति की बात करेंगे
    ना होगा भाषा की भिन्नता पर विचार
    ना होगी सीमाओं की बातें
    ना नफरत ,ना तकरार

    कहा तो सही आपने मगर वहां जाने के लिए प्रेरित न करें. शराब से लोग दूर ही रहें तो ही ठीक है.

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  15. बहुत बढिया लिखा .. शुभकामनाएं !!

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  16. एक बार मेरे अनुरोध पर

    तुम चलो मयखाने में

    फिर देखना .......

    क्या मजा आता है,

    पीने और पिलाने में ।

    Oh Kewal darling...what an awesome poetry? keep it up...love u darling n take care

    Munni Badnam

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  17. मयखाने के नाम पर ही सही लेकिन एकजुटता के लिए प्रेरित करती प्रस्तुती......आज ऐसी ही भावना की जरूरत है ....

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  18. कविता के भाव अच्छे हैं मगर मयखाना ही क्यों? कोई और जगह होती । मयखाने का समर्थन नही।

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  19. वाह जी वाह...
    वक बार फ़िर से bar की तारीफ हो गयी..
    "मधुशाला" याद आ गयी...

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  20. ye hai maiqadaa,yahaa rind hain,
    yahan sabke haath mei jaam hai.

    magar iskaa koi karegaa kyaa,
    ye to maiqadey kaa nizaam hai.

    khoosoorat rachnaa.merey blog par padhaaraney kaa shukriyaa.

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  21. बहुत उम्दा रचना.

    रामराम.

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  22. एक बार फिर से मधुशाला, हाला और प्याला मुखर हुए हैं आपकी कविता में...

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  23. क्या मजा आता है, पीने और पिलाने में, बढ़िया अंदाज़|

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  24. आपकी मधुशाला पढ़कर ग़ालिब का यह शेर याद आ गया भाई केवल जी;

    ये तो मेरे खून की शिद्धत है शाकी, नशा जो शराब में होता बोतल न झूमती ..?

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  25. क्या खूब भाई केवल जी ! पुरुष तो पुरुष, महिलाएं भी आपकी मधुशाला की तारीफ़ करते नहीं अघा रही है........ शायद नशा शराब से ज्यादा शब्दों में जो है.......बहुत सुन्दर.

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  26. मयखाने का और पीने वालों का बहुत अच्छा चित्रण
    किया है |सच्चाई बयान की है |पर एक बात छूट गयी है बहां होने वाली गालीगलोच |
    आशा

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  27. आप बुलाओगे जहां
    आ जायेंगे वहीं
    खूब पियेंगे विचारों के जाम भर भर कर
    छलकने भी न देंगे, कलम में कैद कर लेंगे
    दिसम्‍बर के आखिरी महीने में जहां गर्मी रहती है वहां सपरिवार घूमने आना चाहता हूं

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  28. आशा जी की बात का समर्थन है भाव सही है किन्तु मयखाने का समर्थन नहीं ..............
    मेरे ब्लॉग में SMS की दुनिया ........

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  29. केवल जी .. इसके लिए मयखाना नही माहॉल मयखाने जैसा चाहिए ... बहुत लाजवाब लिखा है ..

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  30. सुनने में तो अच्छा ही लग रहा है "मयखाने का संसार"

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  31. वहां ना कोई साजिश

    ना कोई भेदभाव

    ना कोई नफरत की दीवार

    जितनी पीयेंगे

    उतना खुमार ,उतना प्यार ।
    हम प्याला लोगों की मधुशाला का अच्छा चित्र खीँचा है। बधाई। अरे बेटा लगता तो नही तुम्हें देख कर कि तुम कभी मयखाने मे गये हो!। बच के रहना शराब से। आशीर्वाद।

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  32. अंतिम पंक्तियॉं बहुत कुछ कहती हैं। बधाई।

    ---------
    दिल्‍ली के दिलवाले ब्‍लॉगर।

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  33. .

    कभी हिम्मत जुटा सके तो हम भी देखेंगे मयखाना कैसा होता है।
    बढ़िया प्रस्तुति !

    .

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  34. और जरा सी दे दे साकी और जरा सी .....

    केवल जी विचार अच्छा है क्यों न जाति भेद-भाव मिटाने के लिए हर गली ,मोहल्ले ,नुक्कड़ पे मयखाने खोल दिए जायें ....???

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  35. बैर कराते मंदिर मस्जिद, मेल कराती मधुशाला.

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  36. संभवतः इन्ही फायदों ने बच्चन जी को मधुशाला लिखने को बाध्य किया था...

    विचारणीय बहुत ही सुन्दर और प्रेरणाप्रद रचना...

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  37. बेनामी16/12/10 10:12 pm

    मधुशाला ; की सुंदर कल्पना है तमाम अवांछित दीवारें गिरा देने की ! सार्थक है !

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  38. वाह!! वाह!! अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति......। सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
    ==========================
    सदाचार
    अफ़सर की मक्कारी ने।
    और चोरबाजारी ने॥
    सदाचार को मारा है-
    गोली भ्रष्टाचारी ने॥
    ===========================

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  39. केवल राम जी,
    आपने मयखाने के सन्दर्भ से समाज में व्याप्त बहुत सारी विद्रूपताओं के चेहरे से नकाब उठा दिया !
    अच्छे चिंतन के साथ आपका अंदाज़ भी अच्छा लगा !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  40. बहुत खूब केवलराम ! शुभकामनायें !

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  41. `समता...को समझता है समझदार
    उसके चारों तरफ की कुर्सियां ,
    कर देंगी
    मिलकर रहने का इजहार ।'

    सच है... शराबी से अह्दिक समता को कौन समझ सकता है :)

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  42. प्रियवर केवलराम जी
    क्या बात है ! बहुत रंग में हैं …
    तुम मयखाने में बेशक खूब मत पीना…
    ना ही पिलाना बस एक बार तुम महसूस करना मयखाने का संसार


    आ गए जी … आपके कहने से … :) वरना हम तो नज़रों से पीने-पिलाने वाले हैं :)
    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  43. अब अकेले न चले जाना। कब चल रहे हो जल्दी बताना। सीनियर बच्चन के समय तो पैदा होने में देर हो गई थी। अबकी बार रुकेंगे नहीं। मस्त हो लेंगे मस्त मलंग.....

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  44. मयखाने के ज़रिये आपने समभाव की बातें की है ... अच्छा लगा !

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  45. जाने वो क्या मजा है पीने पीलाने में
    जो एक बार हो आया हो मयखाने में।

    वाईज औ पंडित गले मिलते देखे हमने
    दीवानों की महफ़िल जमती मयखाने में

    ईश्क हकीकी का मजा मिजाजी न जाने
    मयकशी ने ये पैगाम दिया मयखाने में

    रफ़ीक भी रकीब जैसे मिलते जहा्न में
    रकीब भी रफ़ीक हो गए हैं मयखाने में

    "ललित" दीवानगी ले आती रोज यहाँ
    वरना क्युं आता सरे आम मयखाने में

    जवाब देंहटाएं
  46. सिर्फ़ केवल के गरमा गरम सीधे कड़ाही से :)

    जाने वो क्या मजा है पीने पीलाने में
    जो एक बार हो आया हो मयखाने में।

    वाईज औ पंडित गले मिलते देखे हमने
    दीवानों की महफ़िल जमती मयखाने में

    ईश्क हकीकी का मजा मिजाजी न जाने
    मयकशी ने ये पैगाम दिया मयखाने में

    रफ़ीक भी रकीब जैसे मिलते जहा्न में
    रकीब भी रफ़ीक हो गए हैं मयखाने में

    "ललित" दीवानगी ले आती रोज यहाँ
    वरना क्युं आता सरे आम मयखाने में

    शुभकामनाएं
    मयखाने आएं

    जवाब देंहटाएं
  47. सिर्फ़ केवल राम के लिए

    जाने वो क्या मजा है पीने पीलाने में
    जो एक बार हो आया हो मयखाने में।

    वाईज औ पंडित गले मिलते देखे हमने
    दीवानों की महफ़िल जमती मयखाने में

    ईश्क हकीकी का मजा मिजाजी न जाने
    मयकशी ने ये पैगाम दिया मयखाने में

    रफ़ीक भी रकीब जैसे मिलते जहा्न में
    रकीब भी रफ़ीक हो गए हैं मयखाने में

    "ललित" दीवानगी ले आती रोज यहाँ
    वरना क्युं आता सरे आम मयखाने में

    शुभकामनाएं
    मयखाने आएं

    जवाब देंहटाएं

जब भी आप आओ , मुझे सुझाब जरुर दो.
कुछ कह कर बात ऐसी,मुझे ख्वाब जरुर दो.
ताकि मैं आगे बढ सकूँ........केवल राम.