कदमों के निशां .
जन्म के बाद की
आनिश्चितताएँ
और
जीवन के अंतिम पड़ाव से पहले
सांसों के इस सफ़र में
मेरी जिन्दगी
जिन राहों से गुजरेगी
मुझे तय करना है ....
कि.....
उन राहों पर
मेरे कदमों के निशां
रहेंगे या नहीं ।
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
अंतिम सत्य
जीवन की क्षणभंगुरता
और मृगतृष्णाओं के द्वंद्व के बीच
मेरी 'रूह' हमेशा कहती है
जीवन का अंतिम सत्य
प्रकाश को पाना है ...
बंधन मुक्त हो जाना है .
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जन्म के बाद की
आनिश्चितताएँ
और
जीवन के अंतिम पड़ाव से पहले
सांसों के इस सफ़र में
मेरी जिन्दगी
जिन राहों से गुजरेगी
मुझे तय करना है ....
कि.....
उन राहों पर
मेरे कदमों के निशां
रहेंगे या नहीं ।
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इबादत
वो क्या खाक इबादत
खुदा की करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ।
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अंतिम सत्य
जीवन की क्षणभंगुरता
और मृगतृष्णाओं के द्वंद्व के बीच
मेरी 'रूह' हमेशा कहती है
जीवन का अंतिम सत्य
प्रकाश को पाना है ...
बंधन मुक्त हो जाना है .
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मेरी 'रूह' हमेशा कहती है
जवाब देंहटाएंजीवन का अंतिम सत्य
प्रकाश को पाना है ...
बंधन मुक्त हो जाना है .
..
बहुत खून केवल भाई. आते ही सिक्सर मारा दिया
वो क्या खाक इबादत
जवाब देंहटाएंखुदा कि करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ...
बहुत खूब ... सच है ... यूँ तो हर इंसान में खुदा का अंश होता है ....
आप चाहें
जवाब देंहटाएंन चाहें
निशां तो रहेंगे
निशा होगी तो
दिखाई न देंगे
उजाला होगा
तो देख लेंगे सब।
गिरीश बिल्लौरे और अविनाश वाचस्पति की वीडियो बातचीत
jeevan ka antim satya praksh ko pana hai...lekin kya ye praksh mil paya hai...:)
जवाब देंहटाएंteeno kshhanikayen ek se badh kar ek...
teeno kshanikayen prerak aur bhavpoorn hain.
जवाब देंहटाएंjeevan ki sachchai evam jeevan darshan ....
जन्म के बाद की
जवाब देंहटाएंआनिश्चितताएँ
और
जीवन के अंतिम पड़ाव से पहले
सांसों के इस सफ़र में
मेरी जिन्दगी
जिन राहों से गुजरेगी
मुझे तय करना है ....
कि.....
उन राहों पर
मेरे कदमों के निशां
रहेंगे या नहीं ।
ab kya kahun main...kitni achchi lagi aapki chanikayen...aaj aapse pahli mulakaat hai...par ummeed hai ab roj milenge...dhanyawad.
अध्यात्म का टच। सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसभी बहुत बेहतरीन क्षणिकाएं हैं।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना ... बधाई केवलराम जी ...
जवाब देंहटाएंतीनों क्षणिकाएं उत्कृष्ट लेखन का नमूना हैं...बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रूप सें प्रस्तुत की गयी ...प्रभावशाली क्षणिकाएं हैं.
जवाब देंहटाएंएक को क्या कहूँ, तीनो ही बेहतरीन हैं ..
जवाब देंहटाएंमेरी जिन्दगी
जवाब देंहटाएंजिन राहों से गुजरेगी
मुझे तय करना है ....
कि.....
उन राहों पर
मेरे कदमों के निशां
रहेंगे या नहीं ।
.........अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति..
केवल जी तीनो क्षणिकाये बहुत ही सुंदर तथा गहरे भावों से परिपूर्ण है..............
जवाब देंहटाएंसृजन शिखर पर --इंतजार
ये क्षणिकाएं ज़िन्दगी के सच की आध्यात्मिक अभिव्यक्ति है।
जवाब देंहटाएंइबादत
जवाब देंहटाएंवो क्या खाक इबादत
खुदा की करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ।
bahut badhiyaa
आदर्श जीवन का मानदंड दिखा दिया आपने... यदि कोई इन मानदंडों को छू भी जाए तो जीवन सार्थक हुआ!!
जवाब देंहटाएंकेवल राम जी! बहुत सुन्दर क्षणिकाएं!!
जीवन की सत्यता से परिचय कराती क्षणिकाएं.. अच्छा लगा पढ़कर..
जवाब देंहटाएंजीवन की सत्यता से परिचय कराती क्षणिकाएं.. अच्छा लगा पढ़कर..
जवाब देंहटाएंजीवन की सत्यता से परिचय कराती क्षणिकाएं.. अच्छा लगा पढ़कर..
जवाब देंहटाएंमुझे तय करना है ....
जवाब देंहटाएंकि.....
उन राहों पर
मेरे कदमों के निशां
रहेंगे या नहीं ...
सही कहा आपने। अपने भाग्य-विधाता हम अपने कर्मों द्वारा ही बनते हैं।
कदमों के निशां तो जीते जी ही मिटा दिए जाते हैं बंधु :)
जवाब देंहटाएंवाह केवल जी तीनो क्षणिकायें बहुत ही सुंदर ओर गहरे भाव लिये हे, आप का धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर क्षणिकाएं हैं | गागर में सागर भर दी है |
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत विचार पड़कर बहुत अच्छा लगा दोस्त !
जवाब देंहटाएंतीनो क्षणिकाये बहुत अच्छी लगी लेकिन ये ---
जवाब देंहटाएंवो क्या खाक इबादत
खुदा की करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ।
आज के समय के लिये बहुत अच्छा सन्देश देती है। आप अपने कदमों के निशाँ जरूर बना कर जायेंगे। आशीर्वाद।
वो क्या खाक इबादत
जवाब देंहटाएंखुदा की करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ।
ati sundar, ati sundar...bahut-bahut vadhai
शब्द और भाव का अद्भुत साम्य लिए हैं क्षणिकाएँ
जवाब देंहटाएंवो क्या खाक इबादत
जवाब देंहटाएंखुदा कि करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं
बेहतरीन पंक्तियाँ ....बहुत खूब.
आपकी क्षणिकाएं केवल क्षण भर के लिए ही नहीं वरन हर क्षण गूंजता रहता है . आप यूँ ही लिखते रहें ..हमारी शुभकामनायें ....nmay.amrita
जवाब देंहटाएंइबादत
जवाब देंहटाएंवो क्या खाक इबादत
खुदा की करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ।
बहुत ही अच्छी क्षणिकाएं..सभी एक से बढ़कर एक
मेरी 'रूह' हमेशा कहती है
जवाब देंहटाएंजीवन का अंतिम सत्य
प्रकाश को पाना है ...
बंधन मुक्त हो जाना है
bahut khoob.
वो क्या खाक इबादत
खुदा कि करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को..sashakt lekhan
खुदा समझ बेठें हैं ...
काश लोग समझ पाते भग्वान पत्थर मे नही इंसा के दिल मे बसता है , और इंसान को दुखी करना ईश्वर को दुख देने जैसा होता है
जवाब देंहटाएंवास्तविकता तो यह थी मगर....! ..केवल राम
जवाब देंहटाएंसभी बहुत बेहतरीन क्षणिकाएं ,बधाई.....
जवाब देंहटाएंजिंदगी के महान फलसफे को
जवाब देंहटाएंबयान करती हुई
सच्ची और सार्थक क्षणिकाएं
वो क्या खाक इबादत
जवाब देंहटाएंखुदा की करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ।
... laajawaab ... behatreen rachanaa ... badhaai !!!
वो क्या खाक इबादत
जवाब देंहटाएंखुदा की करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ।
kitni sahajta se kitni badi baat ... sukshm nazariyaa
सुन्दर क्षणिकाएं ... जीवन और भक्ति के बारे में आपने सत्य कहा है !
जवाब देंहटाएंमेरी 'रूह' हमेशा कहती है
जवाब देंहटाएंजीवन का अंतिम सत्य
प्रकाश को पाना है ...
बंधन मुक्त हो जाना है .
...सभी क्षणिकाएं सुंदर है!...बधाई!
वो क्या खाक इबादत
जवाब देंहटाएंखुदा की करेंगे
जो....
इंसानों से नफरत
करते हैं ....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ।
इंसानों से नफरत और पत्थरों को ख़ुदा...
वाह, क्या गहरी बात कही है आपने...जवाब नहीं...
तीनों ही कविताएं बहुत अच्छी हैं..
..शुभकामनाएं।
वो क्या खाक इबादत
जवाब देंहटाएंखुदा की करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ।
bahut badhiya abhivyakti...
सभी बहुत बेहतरीन क्षणिकाएं हैं।बधाई|
जवाब देंहटाएंकेवल जी आपकी तीनों रचनाएं जीवन के मायने बतातीं हैं। पहली और दूसरी रचना ने मुझे काफी प्रभावित किया। तीसरी भी उत्तम थी।
जवाब देंहटाएंकेवल जी आपकी तीनों रचनाएं जीवन के मायने बतातीं हैं। पहली और दूसरी रचना ने मुझे काफी प्रभावित किया। तीसरी भी उत्तम थी।
जवाब देंहटाएंहर बात एकदम सटीक...
जवाब देंहटाएंबोले तो... direct dil se...
मुझे "क़दमों के निशान" सबसे अच्छी लगी...
वो क्या खाक इबादत
जवाब देंहटाएंखुदा कि करेंगे
जो .....
इंसानों से नफरत
करते हैं .....
और पत्थरों को
खुदा समझ बेठें हैं ...
बहुत सच कहा है आपने इन पंक्तियों में ...बधाई ।
मैं ब्लॉगिग की दुनिया में नहीं ज्यादा पुरानी
जवाब देंहटाएं,
समझ रही हूं, सीख रही हूं,
पहचान रही हूं, ढूंढ रही हूं
अपनों से लोगों को और
मजा ले रही हूं इस नयी दुनिया का...
बहुत मजा आया आपके ब्लॉग पर पहुंच कर...
धन्यवाद....
मुझे तय करना है ....
जवाब देंहटाएंकि.....
उन राहों पर
मेरे कदमों के निशां
रहेंगे या नहीं ।
सुन्दर है.
मन को साफ रक्खें,लोग ख़ुद आपके क़दमों के निशान ढूंढते चले आएंगे.
तीनों क्षणिकाएं अच्छी हैं
जीवन की क्षणभंगुरता
जवाब देंहटाएंऔर मृगतृष्णाओं के द्वंद्व के बीच
मेरी 'रूह' हमेशा कहती है
जीवन का अंतिम सत्य
प्रकाश को पाना है ...
बंधन मुक्त हो जाना है .
फिर भी हम मृगतृष्णाओं से मुक्त नहीं हो पाते .....
आप के ब्लोग पर आ कर हर्षित हुआ ! आप रुहानी अंदाज़ में लिखते हैं ! कलम में दम है ! मैं आप को फ़ोल्लोव कर रहा हूं ! मेरे ब्लोग पर भी आएं !
जवाब देंहटाएंकेवल राम जी,
जवाब देंहटाएंमेरी नजर में आप तो छा गए गुरू। बहुत ही सुंदर। मेरा आशीष आपके साथ है।
क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
जवाब देंहटाएंआशीषमय उजास से
आलोकित हो जीवन की हर दिशा
क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
जीवन का हर पथ.
आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं
सादर
डोरोथी
'कदमों के निशाँ' बेहतरीन कृति है...इंशाल्लाह बनेंगे और रहेंगे भी...
जवाब देंहटाएंजीवन का अंतिम सत्य
जवाब देंहटाएंप्रकाश को पाना है ...
बंधन मुक्त हो जाना है .
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ya aapne sahee kaha.........fir bhi
jane kyun1 badhati jati manav man ki
mrigtrishna. THANKS.