खुशी अपने लिए सोचते हैं सब
करते हैं कोशिश
दुखी दुसरे को देखकर
करते हैं कोशिश
दुसरे की भावनाओं को
ठेस लगाकर , खुद खुश होने की
पर....
किसी की भावनाओं को समझकर
खुद खुश होना ,कितना मुश्किल है
राह चलते , दिख जाते हैं, कई दृश्य ह्रदय विदारक
हर दृश्य पर सोच कर , कुछ करने की तमन्ना
और उस निस्वार्थ तमन्ना को
सोचकर ....
मूर्त रूप देना , कितना मुश्किल है
मुझे समझ ले अपना कोई
किसी को अपना बनाने की सब सोचते हैं
पर .....
सहज भाव से किसी का हो जाना , कितना मुश्किल है
उसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है .
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आप सबका ह्रदय से आभार ...आपने मेरी ब्लॉगरीय षटकर्म वाली पोस्ट पर इतनी अच्छी प्रतिक्रियाएं दी ...आपके स्नेह और मार्गदर्शन से यह संभव हो पाया है ...आशा है आप अपना सहयोग यूँ ही बनाये रखेंगे ....!
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वाकई मुश्किल है ....शुभकामनायें केवलराम !
जवाब देंहटाएंमुझे समझ ले अपना कोई
जवाब देंहटाएंह्रदय में बसाकर दे प्यार
itna ki paraya na lage koi
bahut sunder kewal ji
http://unluckyblackstar.blogspot.com
पर .....
जवाब देंहटाएंसहज भाव से किसी का हो जाना , कितना मुश्किल है
बहुत खूब कहा है आपने ...।
पर .....
जवाब देंहटाएंसहज भाव से किसी का हो जाना , कितना मुश्किल है
बहुत खूब कहा है आपने ...।
दुखी दुसरे को देखकर
जवाब देंहटाएंउसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है .
केवल राम जी सच कह रहे हैं…………हम सभी सिर्फ़ अपने दुख को ही दुख समझते हैं जिस दिन दिल से किसी के दुख को समझने लगेंगे ये दुनिया स्वर्ग से भी सुन्दर हो जायेगी……………बेह्द उम्दा अभिव्यक्ति।
अगर हम दुसरे के दुख मे रोना सीख जाये तो ये दुनिया स्वर्ग से भी अच्छी हो जागेगी,
जवाब देंहटाएंकेवल जी बहुत बहुत बहुत सुन्दर कविता लिखी है आपने
आपकी लेखनी को नमन
राह चलते , दिख जाते हैं, कई दृश्य ह्रदय विदारक
जवाब देंहटाएंहर दृश्य पर सोच कर , कुछ करने की तमन्ना
और उस निस्वार्थ तमन्ना को
सोचकर ....
मूर्त रूप देना , कितना मुश्किल है
बिल्कुल सही कहा कभी कभी हम चाहते तो है कुछ करना पर शायद पूरे मन से नहीं औरखुद से ही बहाना बना कर आगे निकाल जाते है | अच्छी कविता |
किसी के सुख से खुश होना और दु:ख में उसके दु:ख को बांटना ही मनुष्य का कर्तव्य है। इसमें ही सुख की प्राप्ति होती है।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव है कविता का।
आभार
किसी की भावनाओं को समझकर
जवाब देंहटाएंखुद खुश होना ,कितना मुश्किल है
वाकई मुश्किल है ...
खुशी अपने लिए सोचते हैं सब
जवाब देंहटाएंकरते हैं कोशिश
दुसरे की भावनाओं को
ठेस लगाकर , खुद खुश होने की
पर....
.
केवल जी आज की दुनिया की हकीकत को आप बहुत करीब से महसूस किया करते हैं. यही आज की दुनिया है और इसी को बदलना भी है...
बहुत अच्छी कविता ,एक ऐसी कविता जिसे मैं सम्भाल के रखूँगा.
खुशी अपने लिए सोचते हैं सब
जवाब देंहटाएंकरते हैं कोशिश
दुसरे की भावनाओं को
ठेस लगाकर , खुद खुश होने की
पर....
किसी की भावनाओं को समझकर
खुद खुश होना ,कितना मुश्किल है
per yahi hota hai
आदरणीय केवल राम जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
......जी सच कह रहे हैं
मैं क्या बोलूँ अब....अपने निःशब्द कर दिया है..... बहुत ही सुंदर कविता.
ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.
जवाब देंहटाएंकोशिश करेंगे इन्हें अपनाने की......
जवाब देंहटाएंमुझे समझ ले अपना कोई
जवाब देंहटाएंह्रदय में बसाकर दे प्यार
bilkul sach baat kahi hai aapne , ********
बहुत खूब ......सुंदर पंक्तियां । सहजता से ही आपने सब कुछ पंक्तियों में पिरो डाला । सुंदर अति सुंदर जी
जवाब देंहटाएंkisi ke dukh par agar sachche dil se ro payen to insaan na ban jayen..:)
जवाब देंहटाएंkisi ke dukh par agar sachche dil se ro payen to insaan na ban jayen..:)
जवाब देंहटाएंपर....
जवाब देंहटाएंसहज भाव से किसी का हो जाना कितना मुश्किल है |
सरल,सहज ,सुन्दर रचना ..
किसी की भावनाओं को समझकर
जवाब देंहटाएंखुद खुश होना ,कितना मुश्किल है
सच ....पता नहीं कैसे लोग दूसरे को दुःख देकर खुश हो लेते हैं...
सुन्दर भावपूर्ण रचना.
दुखी दुसरे को देखकर
जवाब देंहटाएंउसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
केवल राम जी, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति ! शायद एक दिन समझ लें, ये दुनिया भी किसी का दुःख.
दूसरों के दुखों पर आँखें नम होने लगें तो दुख रहेंगे ही नहीं इस दुनिया में।
जवाब देंहटाएंखुद रोने के बजाय दूसरों के आंसू पोंछना ही बेहतर.
जवाब देंहटाएंबेहद सटीक और सुंदर अभिव्यक्ति, सच कहा आपने.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बिलकुल सच कहा जी आपने. ये सब करना वाकई मुश्किल है.
जवाब देंहटाएंएक अच्छी रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकार करे.
मुझे समझ ले अपना कोई
जवाब देंहटाएंह्रदय में बसाकर दे प्यार और सत्कार
किसी को अपना बनाने की सब सोचते हैं
पर .....
सहज भाव से किसी का हो जाना , कितना मुश्किल है
bahut hi shandar lines hain
maaja aa gaya
mere blog ko bhi follow kijiye taaki mujhe apane aap ko sudharane ka mauka mile
dhanaywad
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
दुखी दुसरे को देखकर
जवाब देंहटाएंउसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है
.
इसी मुश्किल में तो इंसानियत सिसक रही है !
केवल जी, इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई
सभी मुश्किल काम गिना दिए भाई ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
केवल जी
जवाब देंहटाएंआपने इस आलेख का सही मर्म पकड़ा है,मानवता ही सबसे पहला धर्म है!
मानवता के प्रति प्रेम भावना को दिल में बसा लेने से भगवान मिलते हैं!
जो सहज भाव से किसी का हो जाना,कितना मुश्किल है और किसी के दुःख पर खुद रोना,कितना मुश्किल है
एक दम सही कहा आपने
श्री केवल राम जी आलेख को कविता पड़ना ओके जी
जवाब देंहटाएं@>-;--;--
जवाब देंहटाएंखुशी का गुलाब मेरी तरफ से ...
स्वीकार करे प्यार, दोस्ती, विश्वास ,भरोसा .. का एक प्रतीक के रूप में मेरा गुलाब!
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है .
जवाब देंहटाएंवाकई... बेहद सहजता से आपने दुरुहताओं के ये चित्रण किये हैं । बधाई औपको...
किसी की भावनाओं को समझकर
जवाब देंहटाएंखुद खुश होना ,कितना मुश्किल है
और उस निस्वार्थ तमन्ना को
सोचकर ....
मूर्त रूप देना , कितना मुश्किल है
सहज भाव से किसी का हो जाना , कितना मुश्किल है
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है .
बहुत खूब लिखा है आपने ,केवल भाई.
सच में बहुत मुश्किल है
जिस दिन यह मुश्किल आसान हो गई या इंसान ने इस मुश्किल पर विजय प्राप्त कर ली, दुनिया स्वर्ग हो जाएगी!! साधुवाद केवल जी!!
जवाब देंहटाएंदुखी दुसरे को देखकर
जवाब देंहटाएंउसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है .
दिल को बेहद करीब से छू लेने वाली सुन्दर रचना.. दूसरे की ख़ुशी में तो शामिल होने वाले लाखों मिल जाते है , पर दूसरो के गम में नम होने वाली आँखें बहुत कम हैं..बहुत खूबसूरत, सुन्दर, वाह और क्या कहूँ शब्द नहीं मिल पा रहे हैं......
lovely/composition
जवाब देंहटाएंकिसी की कविता को सराहना... कितना मुश्किल है :)
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता के लिए बधाई॥
वाकई में कुछ काम बहुत मुश्किल है..
जवाब देंहटाएंऔर जो इन्हें कर जाता है, वही इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवाता है..
केवल जी, बहुत ही गहरी और सार्थक सोंच के साथ सुंदर प्रस्तुति...............
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमुश्किल काम है...प्रयास होते रहना चाहिए......
जवाब देंहटाएंमाँ भारती सब का मार्ग प्रशस्त करे....
आपका स्वागत है....
संवेदनशील , सार्थक रचना .....गहन विचारों की सुंदर प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंदिल को बेहद करीब से छू लेने वाली सुन्दर रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ|
सही कह रहे हैं...
जवाब देंहटाएंएक सार्थक अभिव्यक्ति!
sach kaha hai
जवाब देंहटाएं' किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है
बेह्द उम्दा अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की शुभकामनाएँ...आभार.........
behad sarthak.aapko badhai...
जवाब देंहटाएंaap samaj ki samwedna ko bahut achchi tarah samjhte hain...
बहुत सुन्दर काव्यांजलि--इसी तरह प्रगति करते रहे --हम सब'बडो 'का आशीर्वाद हे आपके साथ !
जवाब देंहटाएंbasant ki hardik shubhkamnayen bhai kewal ram ji bahut sundar kavita aapne likhi hai
जवाब देंहटाएंहमारे आस-पास बहुत सी बातें होती रहती है ...जिससे हम संवेदनशील होते है ...यही मानव धर्म है .... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंदुखी दुसरे को देखकर
जवाब देंहटाएंउसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है .
विरले ही होते हैं ऐसे लोग जो दुसरे के दुःख में रो पड़ें । गहन चिंतन दर्शाती उम्दा रचना ।
आभार।
.
बहुत खूबसूरत भाव संजोय हैँ ।
जवाब देंहटाएंकेवल राम भाई आभार !
दिल मेँ गहरे उतरने वाली चिँतनशील रचना । बधाई ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंबसन्तपञ्चमी की शुभकामनाएँ!
अगर हम एक दूसरे के सुख दुख से भरे संसार को अपना बना लें तो ये दुनिया सचमुच नई सृष्टि बन जाए...दिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत, संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
जवाब देंहटाएंआप को वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
सादर,
डोरोथी.
केवल जी, बहुत अच्छी कविता है.
जवाब देंहटाएंहाल ही में आपके चम्बा जा कर आया हूँ. बहुत अच्छी जगह है. आपके ब्लाग ही की तरह.
माना कोई हमे अपनाये ये तो मुश्किल होता है
जवाब देंहटाएंपर हम किसी को अपनाये ये थोडा आसां होता है
नजर भर के देखना प्यार से ही तो काफी नही
हाँ उम्र भर साथ निभाना थोडा मुश्किल होता है
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है .
जवाब देंहटाएंशायद दुनिया का सब से मुश्किल काम है। अच्छी लगी रचना। बधाई।
केवल भाई, सचमुच आदमी होना कितना मुश्किल है।
जवाब देंहटाएं---------
समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्रकृति की सूक्ष्म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।
बहुत बड़ी सीख देती छोटी सी कविता अच्छी लगी.वसन्तोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंye dil na hota bechara,kadam na hote awara.. kitna muskil hai hi is dil ko samazna.Dil ki sachchi khushi 'kisi ki bhavnao ko samazna,
जवाब देंहटाएंsahaj bhav se kisi ka ho jana,kisi ke dukh me dukhi ho jane'me hi hai.
Nimal bhavnao ka atisunder chitran.
मुश्किलें पहले बढ़ीं फिर बढ़के आसां.हो गईं.
जवाब देंहटाएंयही दस्तूर हो गया है ज़माने का.
दुखी दुसरे को देखकर
जवाब देंहटाएंउसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है .
कुछ लोग होते हैं जो दुसरे के भी दुःख में रोते हैं ,पर कुछ रोना चाहें भी तो रो नहीं पाते क्योंकि दुनिया जालिम है रोने नहीं देती....
बिल्कुल सही कहा आपने... उम्दा अभिव्यक्ति।
प्रियवर भाई केवलराम जी
जवाब देंहटाएंसस्नेहाभिवादन !
अच्छे भाव हैं आपकी रचना में … बधाई !
मैं इस बात को जैसे कहता हूं , उसका अंश मुलाहिजा फ़रमाएं -
दूसरों के अश्क… अपनी आंख से बहने भी दे !
अपने दिल को… दूसरों के दर्द तू सहने भी दे !
दुनिया दीवाना कहे… तुझको , तू मत परवाह कर ;
रास्ते अपने तू चल… कहते , उन्हें कहने भी दे !!
पूरी रचना तो शस्वरं की एक पुरानी पोस्ट पर लगी भी है ।
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
दुखी दुसरे को देखकर
जवाब देंहटाएंउसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है . .
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
आज के समय की हकीकत को कविता बया कर रही है.. अंतिम पंक्ति को जीवन का सार सी लग रही है.. वाकई बहुत बड़ा हृदय चाहिए किसी और के दुःख में रोने के लिए... और आज के बाजारवादी युग में कहाँ होता है ऐसा.. एक शसक्त और प्रभावशाली कविता के लिए आपको बधाई... कविता की संरचना भी अच्छी है..
जवाब देंहटाएंजिन्दगी के सच और यथार्थ को दर्शाती आपकी यह रचना सचमुच सुंदर है , यह रचना विश्लेषण की तरफ ले जाने वाली है ..इस कविता की हर पंक्ति सोचने को मजबूर करती है ...अंतिम पंक्तियों में तो जीवन का सार प्रस्तुत कर दिया आपने ...पर ऐसा करना मुश्किल है ....
जवाब देंहटाएंतारीफ़ करने की सोचते हैं सब
जवाब देंहटाएंतारीफ भी करते हैं
पर
आपके इस रचना की तारीफ करना मेरे लिए, कितना मुश्किल है...
बहुत खूब केवल जी...
कहाँ से खोजते हैं आप ये सब...
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
जवाब देंहटाएंराह चलते , दिख जाते हैं, कई दृश्य ह्रदय विदारक
जवाब देंहटाएंहर दृश्य पर सोच कर , कुछ करने की तमन्ना
और उस निस्वार्थ तमन्ना को
सोचकर ....
मूर्त रूप देना , कितना मुश्किल है
मर्मस्पर्श सुंदर रचना -
बधाई
दुखी दुसरे को देखकर
जवाब देंहटाएंउसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है .
कविता अच्छी लगी. उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद.......
behad sundar rachna......kevalramji!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
जवाब देंहटाएंदुखी दुसरे को देखकर
उसके आंसू पोंछना , आसान है
लेकिन....
किसी के दुःख पर खुद रोना , कितना मुश्किल है
अच्छी कविता |हमारी शुभकामनाये आपके साथ है,