12 फ़रवरी 2011

अहसास होता है

कभी-कभी हमारी जिन्दगी में हमारी सोच के अनुकूल कुछ नहीं होता तो हम हताश हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में अगर हमें कोई आशा की किरण दिखाई देती है तो वह है ‘ईश्वर’. लेकिन ईश्वर पर हमारा यकीन उस स्तर का नहीं होता, जिस स्तर का होना चाहिए. ऐसी स्थिति में मन में कुछ यूं हलचल मचती है....!!!      

क्योँ कभी-कभी यह मन उदास होता है
है तू कण-कण में, क्योँ नहीं अहसास होता है.

तेरी रहमत का सदका है जमीं आसमां में
क्यों नहीं मेरे मन को यह विश्वास होता है.

है हर तरफ जलवा तेरा, गर तेरे हैं सब
फिर कोई क्योँ पराया, कोई ख़ास होता है.

मुद्दत बाद मिली जिन्दगी, वो भी चंद साँसें
क्योँ तृष्णाओं-लालसाओं का लिवास होता है.

सब कुछ भुलाकर, तेरा अर्पण कर दिया तुझे
हर पल तुझे देखता हूँ, पल-पल अहसास होता है.

73 टिप्‍पणियां:

  1. ईश्वर मे जितना डूबोगे उसे उतना पायेगे (ऐसा मेरा मानना है)
    बहुत अच्छी कविता कही आपने
    अभी कम्पयूटर चलाया और आपकी ईश्वर को याद कराती पोस्ट पढ कर बहुत अच्छा लगा
    शुभकामनाये

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  2. मुद्दतों बाद मिली जिन्दगी , वो भी चंद साँसें
    क्योँ बढती तृष्णाएं, क्योँ लालसाओं का लिवास होता है
    आस्था और सांसारिक विचारों के बीच जद्दोज़हद का सुंदर रेखांकन ........ बहुत सुंदर

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  3. ईश्‍वर की मौजूदगी का अहसास कराती बेहतरीन रचना।

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  4. वाह ! लाजवाब गजल ।

    केवल राम जी

    ईश्वर तो हर क्षण दिल के पास होता है ,
    नजरोँ पर हमारी तृष्णाओँ का लिबास होता है ।

    बेहद खूबसूरत और सादगी से भक्ति की ओर अग्रसर गजल । आभार केवल राम भाई !

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  5. केवल जी आप दिल से लिखते हैं और इसी कारण मुझे आप को पढना अच्छा लगता है.

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  6. क्योँ कभी-कभी यह मन उदास होता है
    है गर तू कण -कण में , क्योँ नहीं एहसास होता है
    SUNDER EHSAS
    AAPKA SUKRIYA

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  7. आँख बंद कर निहारें तो वही दिखता है।

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  8. केवल राम जी
    तेरी रहमत का सदका है जमीं आसमां में
    क्यों नहीं मुझे यह विश्वास होता है
    गहरे जज्बातों को शब्द देते है आप
    बहुत खूब लिखा आपने । दिल की गहराई से निकले हुए ज़ज्बात । बधाई स्वीकारे ।

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  9. खूबसूरत रचना
    बहुत सुन्दर शब्द संयोजन में लिखी गई बहुत उम्दा रचना.............शानदार प्रस्तुतिकरण

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  10. है हर तरफ जलवा तेरा ,गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्योँ पराया , कोई ख़ास होता है...
    kya baat hai...har line khaas ,dil ke behad kareeb.
    thanks.

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  11. सुंदर कविता , छायावादी कवियों जैसी रहस्यवादिता का वर्णन है इसमें . बधाई हो

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  12. तेरी रहमत का सदका है जमीं आसमां में
    क्यों नहीं मुझे यह विश्वास होता है

    है हर तरफ जलवा तेरा ,गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्योँ पराया , कोई ख़ास होता है
    बहुत सुन्दर, बेमिसाल.... ईश्वर तो हर क्षण हमारे ही पास होता है, ये तृष्णाएँ ही हैं जो भ्रमित करती रहती हैं..मन की भावनाओं को जैसे शब्द मिल गए हो... लाजवाब.........

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  13. है हर तरफ जलवा तेरा ,गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्योँ पराया , कोई ख़ास होता है..
    ये तो नजरो का धोका है,मन की आँखों से देखो तो बस वही आस-पास होता है...
    बहुत-बहुत आभार...

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  14. जिस पल दिल से तेरा तुझको अर्पण करेंगे उसी पल से उसका अहसास पल पल अपने साथ करेंगे……………बस यही समर्पण उसका अहसास होता है……………सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  15. वाह ! केवल राम जी
    इस कविता का तो जवाब नहीं !
    विचारों के इतनी गहन अनुभूतियों को सटीक शब्द देना सबके बस की बात नहीं है !
    कविता के भाव बड़े ही प्रभाव पूर्ण ढंग से संप्रेषित हो रहे हैं !
    आभार!

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  16. है हर तरफ जलवा तेरा ,गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्योँ पराया , कोई ख़ास होता है

    सही सवाल है । इसका ज़वाब कलयुगी इंसान के पास तो नहीं ।

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  17. ईश्वर के आस्तित्व को नमन करती सुन्दर रचना.

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  18. अब सब कुछ भुलाकर , तेरा अर्पण कर दिया तुझे
    हर पल केवल तुझे देखता हूँ , पल - पल तेरा अहसास होता है

    very good Kewal ji ..
    आपने सच कहा हम जब भी कोई नेक काम करते है , वो हमारे साथ होता है , और यही विश्वास हमें सफलता भी दिलाता है
    ना भूलों उस खुदा को कभी जिसने हमें बनाया
    किया तूने कुछ नही , सब उसने तुमसे है कराया
    बुरा क्छ भी करने से पहले सोच लो इतना
    उनकी नजरों से कुछ भी जहाँ में छुप नही पाया

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  19. केवलरामजी, एक ही बात- जबरदस्त... (मोबाईल टिप्पणी)

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  20. भाई केवल राम जी उत्कृष्ट कविता के लिए आपको बधाई शुभकामनाएं |

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  21. भाई केवल राम जी उत्कृष्ट कविता के लिए आपको बधाई शुभकामनाएं |

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  22. आज मन खुश हो गया आपकी रचना पढ़ कर.
    लगता है मतला भूत काल है और मक्ता वर्तमान है.
    क्योँ कभी-कभी यह मन उदास होता है
    है गर तू कण -कण में , क्योँ नहीं अहसास होता है

    अब सब कुछ भुलाकर , तेरा अर्पण कर दिया तुझे
    हर पल केवल तुझे देखता हूँ , पल - पल तेरा अहसास होता है

    उसकी शान में जो कविता या ग़ज़ल कही जाती है
    उसकी तासीर अलग ही होती है.
    रूह से निकलती है.रूह तक पहुँचती है.
    बन्दा आज आपको झुक कर सलाम करता है. मंजूर हो.

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  23. " ram " wah bhi kewal....belive it or not.......only " Ram ". very good.

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  24. सुन्दर एहसासों को दर्शाती खुबसूरत रचना !

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  25. ऐसे भावों को शब्द देना भी बिना माता सरस्वती की कृपा के संभव नही है. आप पर मां का वरद हस्त बना रहे यही शुभकामना है.

    रामराम.

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  26. बेनामी12/2/11 9:21 pm

    जब इंसान का कोई काम बनते-बनते बिगङने लगता है तो वो स्वाभाविक रुप से भगबान को याद करता है आपने एक आम इंसान कि भावनाओं को प्रकट किया है धन्यबाद

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  27. बेनामी12/2/11 9:22 pm

    जब इंसान का कोई काम बनते-बनते बिगङने लगता है तो वो स्वाभाविक रुप से भगबान को याद करता है आपने एक आम इंसान कि भावनाओं को प्रकट किया है धन्यबाद

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  28. Wah! Kevalji Wah!
    Arpan bhi kar diya,aur pal pal uska
    ahasas bhi kar rahe ho.Bhai ji is
    ahasas ko hi itna badhate jana hai
    ki man ki udaasi tik na paaye aur kan kan me iswar najar aaye.Aapto
    bhakti maata ki god me ho,phir dar kaisa.

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  29. उस सर्वशक्तिमान के प्रति सच्चा आभार!!

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  30. गहरे और सुंदर भावों से भारी बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ................

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  31. हम भी हैं कण-कण में... , जब अपनत्व अनंत होता है , ईश्वरत्व मिल जाता है । ईश्वर को खोजती बहुत अच्छी रचना के लिए धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ ।

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  32. @>>>sagebob जी
    आपने सही पहचाना ..मेरा मन बहुत उदास होता था ..जब मुझे इसका अहसास नहीं हुआ था ..आज से साल 12 पहले जब मेरी जिन्दगी में ऐसा अवसर बना तो फिर मुझे लगा कि जिन्दगी की वास्तविकता क्या है ..और जो मक्ता है ..यह उसी अहसास का परिणाम है ...आपका आभार

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  33. बहुत खूबसूरती से उसके होने का अहसास कराया है

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  34. blog par aakar haunsla ajai ke liye bahut bahut dhnyvaad,

    aapki rachna behad prabhavshali

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  35. बहुत अच्छी कविता कही आपने, केवल राम जी
    आपकी लेखनी मैं कमाल का जादू है !

    बहुत बधाई एवं शुभकामनायें !!

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  36. है हर तरफ जलवा तेरा ,गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्योँ पराया , कोई ख़ास होता है

    वाह, केवल जी, बहुत ही सुंदर।
    ईश्वर को संबोधित यह ग़ज़ल अनूठी है।

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  37. सुंदर भावाभिव्यक्ति..बहुत सुंदर
    शुभकामनाये

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  38. केवल राम जी

    क्योँ कभी-कभी यह मन उदास होता है
    है गर तू कण -कण में , क्योँ नहीं अहसास होता है

    तेरी रहमत का सदका है जमीं आसमां में
    क्यों नहीं मुझे यह विश्वास होता है

    है हर तरफ जलवा तेरा ,गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्योँ पराया , कोई ख़ास होता

    एक दम लाजवाब और बेहतरीन रचना है
    आभार.....

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  39. जिंदगी चलती है ऐसे ही बदलते एहसासों के साथ ..कभी उसके बहुत करीब होने का अहसास ...तो कभी जैसे उनके ना होने का एहसास ...
    जीवन हमें कई रंग दिखता है ...
    बदलते मगर सच्चे एहसासों की अच्छी कविता !

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  40. शानदार अभिव्यक्ति!

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  41. आस्था और सांसारिक विचारों के बीच जद्दोज़हद का सुंदर रेखांकन| धन्यवाद|

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  42. केवल राम जी

    हुज़ूर आपका भी मन उदास होता है और मेरा भी मन उदास होता है लेकिन हर पल केवल आपको देखता हूँ और पल-पल आपका अहसास होता है....

    इधर से गुज़रा था, सोचा, आपको सलाम करता चलूं....

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  43. आशा निराशा के बीच कुछ लोग पूरा समय बीता देते है | सुन्दर कविता हेतु आभार |

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  44. समर्पण भाव से परिपूर्ण ,एक बेहद खूबसूरत सादगी भरी रचना .......बहुत खूब ...

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  45. मुद्दत बाद मिली जिन्दगी , वो भी चंद साँसें
    क्योँ बढती तृष्णाएं, क्योँ लालसाओं का लिवास होता है
    जब आदमी का उसकी सत्ता से विश्वास उठ जाता है तभी लालसायें तृष्णायें बढ जाती हैं। सुन्दर रचना के लिये बधाई।

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  46. है हर तरफ जलवा तेरा ,गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्योँ पराया , कोई ख़ास होता है
    मुद्दत बाद मिली जिन्दगी , वो भी चंद साँसें
    क्योँ बढती तृष्णाएं,क्योँ लालसाओं का लिवास होता है

    बेहतरीन ग़ज़ल के लिये बधाई स्वीकारें।

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  47. बेनामी14/2/11 12:29 pm

    shandar likha hain aapane

    god is great

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  48. डॉ. डंडा लखनवी जी के दो दोहे

    माननीय डॉ. डंडा लखनवी जी ने वृक्ष लगाने वाले प्रकृतिप्रेमियों को प्रोत्साहित करते हुए लिखा है-

    इन्हें कारखाना कहें, अथवा लघु उद्योग।
    प्राण-वायु के जनक ये, अद्भुत इनके योग॥

    वृक्ष रोप करके किया, खुद पर भी उपकार।
    पुण्य आगमन का खुला, एक अनूठा द्वार॥

    इस अमूल्य टिप्पणी के लिये हम उनके आभारी हैं।
    http://pathkesathi.blogspot.com/

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  49. है हर तरफ जलवा तेरा ,गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्योँ पराया , कोई ख़ास होता है

    ईश्वर की नज़र में सब एक ही समान हैं.ये तो दुष्ट इन्सान है जो किसी को अपना और किसी को पराया समझता है अपनी स्वार्थपरकता के आधार पर.

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  50. 'तेरी रहमत का सदका है जमीं आसमां में

    क्यों नहीं मुझे यह विश्वाश होता है '

    भाई केवल राम जी ,

    बहुत पवित्र पंक्तियाँ लिखी हैं आपने !

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  51. है हर तरफ जलवा तेरा ,गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्योँ पराया , कोई ख़ास होता है

    वाह ..बहुत ही सुन्‍दर भावों के साथ बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  52. बहुत ही सुन्दर रचना, केवल राम जी, आभार.

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  53. बना रहे यह पवित्र अहसास.

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  54. केवल जी रचना पसंद आई। आपको इस सार्थक रचना के लिए आभार...

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  55. `क्योँ नहीं अहसास होता है'

    अहसास होगा केवल सच्चे मन से करें॥

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  56. क्योँ कभी-कभी यह मन उदास होता है
    है गर तू कण -कण में , क्योँ नहीं अहसास होता है

    तेरी रहमत का सदका है जमीं आसमां में
    क्यों नहीं मुझे यह विश्वास होता है

    है हर तरफ जलवा तेरा ,गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्योँ पराया , कोई ख़ास होता है


    सुंदर विचार.मन को अंदर तक उद्द्वेलित कर गई रचना.

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  57. बेहद खूबसूरत और उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई ।

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  58. gar tere hain sab , kyun koi paraya koi khaas hota hai , achha sher kaha hai kewal

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  59. मुद्दत बाद मिली जिन्दगी , वो भी चंद साँसें
    क्योँ बढती तृष्णाएं, क्योँ लालसाओं का लिवास होता है.........
    sundar rachna keval ram ji....

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  60. तेरी रहमत का सदका है जमीं आसमां में
    क्यों नहीं मुझे यह विश्वास होता है
    सही लिखा है आपने, मैं भी कभी-कभी फंस जाता हूँ ।

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  61. प्रिय बंधुवर केवलराम जी
    सस्नेहाभिवादन !

    मन की हलचल की अच्छी अभिव्यक्ति है …
    है हर तरफ जलवा तेरा , गर तेरे हैं सब
    फिर कोई क्यों पराया , कोई ख़ास होता है

    अच्छा लिखा है भाव श्रेष्ठ हैं , छंद में ढालने का भी सुंदर प्रयास है ।
    ढंग के रचनाकारों की ग़ज़लें और छांदस रचनाएं ग़ौर से देखा कीजिए … छंद सध जाने पर ऐसी रचनाओं का आनन्द दुगुना हो जाता है …

    नेट की समस्या के कारण
    दो दिन विलंब से ही …
    प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं ! :)
    स्वीकार करें …
    ♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !

    बसंत ॠतु की भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  62. क्योँ कभी-कभी यह मन उदास होता है
    है गर तू कण -कण में , क्योँ नहीं अहसास होता है..........
    केवल जी !
    डेशबोर्ड में उपडेटेड पोस्ट न होने के कारण समय पर नहीं आ पाया जिसका मुझे खेद है i , चलो सबसे पहले अनुसरण (follow ) की रश्म पूरी करता हूँ , ताकि भविष्य में देर से आने की गुस्ताखी न हो,
    सुंदर कविता ,

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  63. "ईश्वर तो हर क्षण दिल के पास होता है ,
    नजरोँ पर हमारी तृष्णाओँ का लिबास होता है"
    केवल राम जी
    उम्दा रचना,प्रस्तुतिकरण बहुत अच्छा लगा
    शुभकामनाये

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  64. hello sir, apka blog dekah shandaar hai, ek koshish maine bhi ki hai, ek nazar us par bhi dalen.
    krati-fourthpillar.blogspot.com

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  65. वाह ! मन प्रसन्न हो गया इस उम्दा प्रस्तुति से ।बहुत अच्छी कविता कही आपने ईश्‍वर की मौजूदगी का अहसास कराती बेहतरीन रचना।
    हमारी शुभकामनाये आपके साथ है,

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  66. वाह ! मन प्रसन्न हो गया इस उम्दा प्रस्तुति से ।बहुत अच्छी कविता कही आपने ईश्‍वर की मौजूदगी का अहसास कराती बेहतरीन रचना।
    शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  67. मुद्दतों बाद मिली जिन्दगी , वो भी चंद साँसें
    क्योँ बढती तृष्णाएं, क्योँ लालसाओं का लिवास होता

    yes u right.......kash ! sabhi is baat ko samajh paate. very nice.thanks.

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जब भी आप आओ , मुझे सुझाब जरुर दो.
कुछ कह कर बात ऐसी,मुझे ख्वाब जरुर दो.
ताकि मैं आगे बढ सकूँ........केवल राम.