वफ़ा नजर आई उनकी वेवफाई मुझे
इश्क की दुनिया में लगी सच्चाई मुझे
बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे
जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे
सपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
दुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे
इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
इश्क की दुनिया में लगी सच्चाई मुझे
बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे
फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे
सपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
दुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे
इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
वाह, बहुत उम्दा!!
जवाब देंहटाएं"इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गई"
जवाब देंहटाएंकेवल राम जी इश्क के मयखाने में मय कब खत्म होती है ?
बढ़िया ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंवाह, क्या कहने...
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत गज़ल कही है आप ने केवज जी
केवल राम जी,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
क्या बात क्या बात मयखाने में मय के रस में सराबोर नज़्म...... बेहतेरीन और बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत गजल है । प्रत्येक शेर सादगी और ताजगी लिए हुए । आभार केवल राम भाई !
जवाब देंहटाएंचलिए, गजल सुनना-सुनाना तो चल रहा है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत गजल है
जवाब देंहटाएंराकेश जी की बात पर गौर फरमाएं ....शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंshandaar gajal kewal bhai...:)
जवाब देंहटाएंजब होगी केवल मय ईश्क के पैमाने में
जवाब देंहटाएंहमे थोड़ी भी देर न होगी वहाँ आने में ।:)
इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
जवाब देंहटाएंआंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
मतलब तो सच्चाई के सामने आने का है. बिना मय के आ जाए या मय खत्म होने के बाद.गज़ल के सारे शेर बहुत सुंदर हैं. बधाई.
इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
जवाब देंहटाएंआंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझ
वाह हर शेर बहुत अच्छा लगा। बधाई।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (21-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
वफ़ा नजर आई उनकी वेवफाई मुझे
जवाब देंहटाएंइश्क की दुनिया में लगी सच्चाई मुझे
बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे
वाह .. बहुत खूब कहा है इन पक्तियों में ... ।
वाह, क्या अंदाज़े-बयां है केवल जी.
जवाब देंहटाएंसपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
जवाब देंहटाएंदुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
शुभकामनायें !
वफ़ा नजर आई उनकी वेवफाई मुझे
जवाब देंहटाएंइश्क की दुनिया में लगी सच्चाई मुझे
वेवफाई में भी वफ़ा का नज़र आना बहुत बड़ी बात है... हर पंक्ति लाजवाब... मर्मस्पर्शी रचना...
इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
जवाब देंहटाएंआंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
बहुत सुन्दर गज़ल
जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
जवाब देंहटाएंफिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे ...
ये तो आदत है हसीनों की ... क्या बुरा मानना ... लाजवाब ग़ज़ल है केवल जी ...
इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
जवाब देंहटाएंआंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
बहुत उम्दा गज़ल.
उम्दा ग़ज़ल......
जवाब देंहटाएंहर शेर बेहतरीन
थोडी आंच बची रहने दो, थोड़ा धुआं निकलने दो
जवाब देंहटाएंकल देखोगे कई मुसाफिर इसी बहाने आएंगे :)
---दुष्यंत
bhavnaon ka pravah jab aansuon ka pratindhitva karne lage ,gajal ki sarthakata pramanit ho jati hai , aapke saral ,hridaygrahi shilp ne mugdh kar diya /shukriya ji...
जवाब देंहटाएंbahut khoob...
जवाब देंहटाएंshe'r achchhe vaise rakesh ji se sahmat hoon
जवाब देंहटाएंराम-राम भाई,
जवाब देंहटाएंगजल में सच्चाई नजर आ रही है।
कहीं फ़ंस तो नहीं गये थे।
बहुत सुंदर गजल जी
जवाब देंहटाएंअच्छी गजल।
जवाब देंहटाएंगजब के भाव।
शुभकामनाएं आपको।
सपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
जवाब देंहटाएंदुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे
इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
bahut khoob kaha aapne ,sundar
बहुत सुंदर गज़ल भाई केवल राम जी बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंwaah
जवाब देंहटाएंइश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
जवाब देंहटाएंआंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
वाह क्या बात है
बहुत खूब
इस ग़ज़ल की टिप्पणी को इस ब्लॉग पर पढिये
जवाब देंहटाएंhttp://safar-jindgika.blogspot.com/2011/04/blog-post_21.html
वफ़ा नजर आई उनकी वेवफाई मुझे
जवाब देंहटाएंइश्क की दुनिया में लगी सच्चाई मुझे
वाह.बहुत खूब.
आज तो दिल से आह निकली है आपके,जो ग़ज़ल में तब्दील हो गयी.
राकेश जी प्रश्न से मैं भी सहमत हूँ.
इश्क के मयखाने से मय ख़त्म कब होती है.मय ख़्वार ख़त्म हो जाते हैं.
अकेले कहाँ हो भाई ?
जवाब देंहटाएंसाथ तो है,उसकी यादें और तन्हाई !
बहुत अच्छी ग़ज़ल,
जवाब देंहटाएंहर शेर दिल से निकला हुआ..
kewal ji
जवाब देंहटाएंbahut khoob
itni shandaar gazal padhne ke baad dil se yahi shabd nikla----Wah!
har sher lazwaab
bahut bahut badhai
poonam
Wah..wa...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल ।
जवाब देंहटाएं"...बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात,
जवाब देंहटाएंबात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे...."
आपकी गज़लें बहुत कह जाती है भाई केवल जी, और हमेशा की भांति यह पोस्ट भी मनभावन है ...... आभार....... अनेकानेक शुभकामनायें.
जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
जवाब देंहटाएंफिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे
bahut achchi gazal
सपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
जवाब देंहटाएंदुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे
प्रेमपगी मन की व्यथा ....सुंदर ग़ज़ल
man ke ehsaso ko sashakt shabd diya hain aur gazel umda ban gayi jo asar chhodti hai apna.
जवाब देंहटाएंआपकी इस गजल के क्या कहने केवल जी ...आपने बहुत सुंदर शब्दों में मन के भावों को अभिव्यक्त किया है ..!
जवाब देंहटाएंishaq ek ahsas hain
जवाब देंहटाएंishq aaj bhi pavitra hain
bahut khoob likha ram ji
kya bat hain ishq ho gaya kya kisi se
इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
जवाब देंहटाएंआंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
गहन, गहरी और बहुत ही सुन्दर।
....
जवाब देंहटाएं"बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
जवाब देंहटाएंबात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे "
"सपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
दुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे "
इश्क की कहानी ही सबसे जुदा है--किसी की झोली में सेकड़ो सितारे है तो कोई एक तारे को ही तरसता है --ईश्वर का फलसफा समझ नही आया --
अन्तर्मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करती उम्दा गजल...
जवाब देंहटाएंआदरणीय केवल राम जी,
जवाब देंहटाएंवाह,
आप ने बहुत कमाल की गज़ले कही हैं मना पड़ेगा
श्री श्री 1008 श्री खेतेश्वर जयंती पर आज निकलेगी भव्य शोभायात्रा
जवाब देंहटाएंor
जयंती पर आज निकलेगी शोभायात्रा
उम्दा गजल...
जवाब देंहटाएंइश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
केवल जी , बहुत खूब .... आपने वेवफाई में भी वफ़ा ढूंढ़ निकली . काबिलेतारीफ . .......... सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।सादर।
जवाब देंहटाएंवफ़ा नजर आई उनकी वेवफाई मुझे
जवाब देंहटाएंइश्क की दुनिया में लगी सच्चाई मुझे
.....बेहतरीन !
अन्तर्मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करती उम्दा गजल| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंवाह .. बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंsachchi aur achchi gazal........padhkar sukoon mila.....thanks
जवाब देंहटाएंsachchi aur achchi gazal........padhkar sukoon mila.....thanks
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर गज़ल भाई केवल रामजी बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंबदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
जवाब देंहटाएंबात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे
.... केवल जी ये बात तो अपुन राम को भी कभी समझ में नहीं आई...
जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
जवाब देंहटाएंफिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे
वाह सर जी आप भी क्या खुब लिखते है।
तोहफे में नाहक मिली तन्हाई को नियामत समझकर जो रचना में ढाल ले वह सफल कलमकार होता है, बंधु मेरे!
जवाब देंहटाएं"बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
जवाब देंहटाएंबात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे
जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे''
ज़ज्बात का काया है कभी भी बदल सकते हैं और किसी के लिए भी बदल सकते है....
और तोहफा तो तोहफा ही होता है...फिर तन्हाई मिले या जुदाई..सब काबूल हो...!
सुन्दर सी ग़ज़ल...खूबसूरत एहसास !!
इश्क में वफ़ा की उम्मीद भी एक बेवफाई है !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट आपको ढूंढ रही है,आ जाओ !
व्यस्तता के कारण देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.
जवाब देंहटाएंआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद् और आशा करता हु आप मुझे इसी तरह प्रोत्सन करते रहेगे
दिनेश पारीक
व्यस्तता के कारण देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.
जवाब देंहटाएंआप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद् और आशा करता हु आप मुझे इसी तरह प्रोत्सन करते रहेगे
दिनेश पारीक
बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
जवाब देंहटाएंबात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे
बहुत खूब ... ।केवल राम जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल..
जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
जवाब देंहटाएंफिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे
क्या कहूँ केवल जी इन शब्दों पर .....दिल पर असर कर गए ....बहुत खूब
आपके शब्दों में कमाल का जादू है .....आप यूँ ही लिखते रहें ....!
जवाब देंहटाएंkewel ji bhot khubsurt likha hai .
जवाब देंहटाएंgood
sir ji kya baat hein
जवाब देंहटाएंab to aap mey bhi khatam karne lag gaye ho kya baat hein
jwab nahi aapka
bahut achcha likhe.
जवाब देंहटाएंक्या खूब कहा हॆ..
जवाब देंहटाएंआभार
केवल राम जी,
जवाब देंहटाएंएक सुझाव है गौर फरमाइएगा,बड़े काम की चीज लिख रहा हूं-शायद मेरा यह सुझाव आपके जजबात को एक नई दशा और दिशा दे सके।
"बदलते चेहरों के मौसम में ये जरूरी है,
नजर के सामने हर वक्त आईना रखना।"
बहुत ही मनभावन गजल।धन्यवाद।
बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
जवाब देंहटाएंबात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे
जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे
बेहद खूबसूरत और दर्द भरी गज़ल इश्क को समझना बहुत ही मुश्किल है ........
बहुत ही खूबसूरत गजल ..हर पंक्ति लाजवाब..आभार
जवाब देंहटाएं....बेहद खूबसूरत और दर्द भरी गज़ल
जवाब देंहटाएंApka prayash achha laga.
जवाब देंहटाएंlog on to -
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