20 अप्रैल 2011

वफ़ा नजर आई

वफ़ा नजर आई उनकी वेवफाई मुझे
इश्क की दुनिया में लगी सच्चाई  मुझे

बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे

जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे

सपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
दुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे

इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे

81 टिप्‍पणियां:

  1. "इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गई"

    केवल राम जी इश्क के मयखाने में मय कब खत्म होती है ?

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  2. वाह, क्या कहने...
    बहुत ही खूबसूरत गज़ल कही है आप ने केवज जी

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  3. क्या बात क्या बात मयखाने में मय के रस में सराबोर नज़्म...... बेहतेरीन और बधाई

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  4. बहुत ही खूबसूरत गजल है । प्रत्येक शेर सादगी और ताजगी लिए हुए । आभार केवल राम भाई !

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  5. चलिए, गजल सुनना-सुनाना तो चल रहा है.

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  6. बहुत ही खूबसूरत गजल है

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  7. राकेश जी की बात पर गौर फरमाएं ....शुभकामनायें !!

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  8. जब होगी केवल मय ईश्क के पैमाने में
    हमे थोड़ी भी देर न होगी वहाँ आने में ।:)

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  9. इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
    आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे

    मतलब तो सच्चाई के सामने आने का है. बिना मय के आ जाए या मय खत्म होने के बाद.गज़ल के सारे शेर बहुत सुंदर हैं. बधाई.

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  10. इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
    आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझ
    वाह हर शेर बहुत अच्छा लगा। बधाई।

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  11. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (21-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  12. वफ़ा नजर आई उनकी वेवफाई मुझे
    इश्क की दुनिया में लगी सच्चाई मुझे

    बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
    बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे

    वाह .. बहुत खूब कहा है इन पक्तियों में ... ।

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  13. वाह, क्या अंदाज़े-बयां है केवल जी.

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  14. सपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
    दुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे


    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
    शुभकामनायें !

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  15. वफ़ा नजर आई उनकी वेवफाई मुझे
    इश्क की दुनिया में लगी सच्चाई मुझे

    वेवफाई में भी वफ़ा का नज़र आना बहुत बड़ी बात है... हर पंक्ति लाजवाब... मर्मस्पर्शी रचना...

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  16. इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
    आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे

    बहुत सुन्दर गज़ल

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  17. जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
    फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे ...

    ये तो आदत है हसीनों की ... क्या बुरा मानना ... लाजवाब ग़ज़ल है केवल जी ...

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  18. इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
    आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
    बहुत उम्दा गज़ल.

    जवाब देंहटाएं
  19. उम्दा ग़ज़ल......

    हर शेर बेहतरीन

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  20. थोडी आंच बची रहने दो, थोड़ा धुआं निकलने दो
    कल देखोगे कई मुसाफिर इसी बहाने आएंगे :)
    ---दुष्यंत

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  21. bhavnaon ka pravah jab aansuon ka pratindhitva karne lage ,gajal ki sarthakata pramanit ho jati hai , aapke saral ,hridaygrahi shilp ne mugdh kar diya /shukriya ji...

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  22. राम-राम भाई,
    गजल में सच्चाई नजर आ रही है।
    कहीं फ़ंस तो नहीं गये थे।

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  23. अच्‍छी गजल।

    गजब के भाव।
    शुभकामनाएं आपको।

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  24. सपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
    दुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे

    इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
    आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे
    bahut khoob kaha aapne ,sundar

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  25. बहुत सुंदर गज़ल भाई केवल राम जी बधाई और शुभकामनाएं |

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  26. इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
    आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे


    वाह क्या बात है
    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  27. इस ग़ज़ल की टिप्पणी को इस ब्लॉग पर पढिये
    http://safar-jindgika.blogspot.com/2011/04/blog-post_21.html

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  28. वफ़ा नजर आई उनकी वेवफाई मुझे
    इश्क की दुनिया में लगी सच्चाई मुझे

    वाह.बहुत खूब.
    आज तो दिल से आह निकली है आपके,जो ग़ज़ल में तब्दील हो गयी.

    राकेश जी प्रश्न से मैं भी सहमत हूँ.
    इश्क के मयखाने से मय ख़त्म कब होती है.मय ख़्वार ख़त्म हो जाते हैं.

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  29. अकेले कहाँ हो भाई ?
    साथ तो है,उसकी यादें और तन्हाई !

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  30. बहुत अच्छी ग़ज़ल,
    हर शेर दिल से निकला हुआ..

    जवाब देंहटाएं
  31. kewal ji
    bahut khoob
    itni shandaar gazal padhne ke baad dil se yahi shabd nikla----Wah!
    har sher lazwaab
    bahut bahut badhai
    poonam

    जवाब देंहटाएं
  32. "...बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात,
    बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे...."
    आपकी गज़लें बहुत कह जाती है भाई केवल जी, और हमेशा की भांति यह पोस्ट भी मनभावन है ...... आभार....... अनेकानेक शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  33. जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
    फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे

    bahut achchi gazal

    जवाब देंहटाएं
  34. सपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
    दुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे
    प्रेमपगी मन की व्यथा ....सुंदर ग़ज़ल

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  35. man ke ehsaso ko sashakt shabd diya hain aur gazel umda ban gayi jo asar chhodti hai apna.

    जवाब देंहटाएं
  36. आपकी इस गजल के क्या कहने केवल जी ...आपने बहुत सुंदर शब्दों में मन के भावों को अभिव्यक्त किया है ..!

    जवाब देंहटाएं
  37. बेनामी21/4/11 10:59 pm

    ishaq ek ahsas hain
    ishq aaj bhi pavitra hain

    bahut khoob likha ram ji
    kya bat hain ishq ho gaya kya kisi se

    जवाब देंहटाएं
  38. इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
    आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे

    गहन, गहरी और बहुत ही सुन्दर।

    जवाब देंहटाएं
  39. "बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
    बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे "


    "सपने दिल के टूटे उनकी ही महफ़िल में
    दुनिया अपनी ही लगने लगी पराई मुझे "

    इश्क की कहानी ही सबसे जुदा है--किसी की झोली में सेकड़ो सितारे है तो कोई एक तारे को ही तरसता है --ईश्वर का फलसफा समझ नही आया --

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  40. अन्तर्मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करती उम्दा गजल...

    जवाब देंहटाएं
  41. आदरणीय केवल राम जी,
    वाह,
    आप ने बहुत कमाल की गज़ले कही हैं मना पड़ेगा

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  42. उम्दा गजल...


    इश्क के मयखाने में मय जब खत्म हो गयी
    आंसुओं की ताल में उसने गजलें सुनाई मुझे

    जवाब देंहटाएं
  43. केवल जी , बहुत खूब .... आपने वेवफाई में भी वफ़ा ढूंढ़ निकली . काबिलेतारीफ . .......... सुंदर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  44. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति।सादर।

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  45. वफ़ा नजर आई उनकी वेवफाई मुझे
    इश्क की दुनिया में लगी सच्चाई मुझे

    .....बेहतरीन !

    जवाब देंहटाएं
  46. अन्तर्मन की भावनाओं को अभिव्यक्त करती उम्दा गजल| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  47. sachchi aur achchi gazal........padhkar sukoon mila.....thanks

    जवाब देंहटाएं
  48. sachchi aur achchi gazal........padhkar sukoon mila.....thanks

    जवाब देंहटाएं
  49. बहुत ही सुंदर गज़ल भाई केवल रामजी बधाई और शुभकामनाएं |

    जवाब देंहटाएं
  50. बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
    बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे
    .... केवल जी ये बात तो अपुन राम को भी कभी समझ में नहीं आई...

    जवाब देंहटाएं
  51. जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
    फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे

    वाह सर जी आप भी क्या खुब लिखते है।

    जवाब देंहटाएं
  52. तोहफे में नाहक मिली तन्हाई को नियामत समझकर जो रचना में ढाल ले वह सफल कलमकार होता है, बंधु मेरे!

    जवाब देंहटाएं
  53. "बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
    बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे

    जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
    फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे''

    ज़ज्बात का काया है कभी भी बदल सकते हैं और किसी के लिए भी बदल सकते है....
    और तोहफा तो तोहफा ही होता है...फिर तन्हाई मिले या जुदाई..सब काबूल हो...!

    सुन्दर सी ग़ज़ल...खूबसूरत एहसास !!

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  54. इश्क में वफ़ा की उम्मीद भी एक बेवफाई है !



    नई पोस्ट आपको ढूंढ रही है,आ जाओ !

    जवाब देंहटाएं
  55. व्यस्तता के कारण देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.

    आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद् और आशा करता हु आप मुझे इसी तरह प्रोत्सन करते रहेगे
    दिनेश पारीक

    जवाब देंहटाएं
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  57. बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
    बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे

    बहुत खूब ... ।केवल राम जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल..

    जवाब देंहटाएं
  58. जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
    फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे

    क्या कहूँ केवल जी इन शब्दों पर .....दिल पर असर कर गए ....बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  59. बेनामी25/4/11 5:21 pm

    आपके शब्दों में कमाल का जादू है .....आप यूँ ही लिखते रहें ....!

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  60. sir ji kya baat hein
    ab to aap mey bhi khatam karne lag gaye ho kya baat hein
    jwab nahi aapka

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  61. क्या खूब कहा हॆ..
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  62. केवल राम जी,
    एक सुझाव है गौर फरमाइएगा,बड़े काम की चीज लिख रहा हूं-शायद मेरा यह सुझाव आपके जजबात को एक नई दशा और दिशा दे सके।

    "बदलते चेहरों के मौसम में ये जरूरी है,
    नजर के सामने हर वक्त आईना रखना।"

    बहुत ही मनभावन गजल।धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  63. बदलते क्योँ हैं इश्क में इनसान के जज्बात
    बात यह अब तक नहीं समझ आई मुझे

    जुल्मों सितम तो मैंने किसी पर ढाया नहीं
    फिर क्योँ दी उसने तोहफे में तन्हाई मुझे

    बेहद खूबसूरत और दर्द भरी गज़ल इश्क को समझना बहुत ही मुश्किल है ........

    जवाब देंहटाएं
  64. बहुत ही खूबसूरत गजल ..हर पंक्ति लाजवाब..आभार

    जवाब देंहटाएं
  65. ....बेहद खूबसूरत और दर्द भरी गज़ल

    जवाब देंहटाएं
  66. Apka prayash achha laga.

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    neelnight.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं

जब भी आप आओ , मुझे सुझाब जरुर दो.
कुछ कह कर बात ऐसी,मुझे ख्वाब जरुर दो.
ताकि मैं आगे बढ सकूँ........केवल राम.