हाल कैसे करूँ वयां, अजीब समां आया
है
साँसों में है बैचनी, दिल भी घबराया हैइन्तजार में तुम्हारे, हम बेसुध से हो गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
इजहार कबूल कर, दिल को था थाम
लिया
सब बन्धन तोड़कर, सोच को था अंजाम दिया
तुम्हारी याद में, सुख चैन मेरे लुट गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
सब बन्धन तोड़कर, सोच को था अंजाम दिया
तुम्हारी याद में, सुख चैन मेरे लुट गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
अहसास मिलन का, अभी हुआ ही थोडा
था
विरह से उठकर, अपने को तुमसे जोड़ा था
फिर उसी हाल में, तुम भी मुझे छोड़ गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
विरह से उठकर, अपने को तुमसे जोड़ा था
फिर उसी हाल में, तुम भी मुझे छोड़ गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
मात्र स्मरण से, बिन बादल के
होती बरसात
दिन तो ख़्वाब में कट जाता, भारी पड़ती रात
याद में तुम्हारी रो-रोकर, रक्तिम नैन हो गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
दिन तो ख़्वाब में कट जाता, भारी पड़ती रात
याद में तुम्हारी रो-रोकर, रक्तिम नैन हो गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
मधुर आवाज की गूंज, लगी कानों को
सताने
गुलाबी होंठों की मंद मुस्कान, लगी जलबे दिखाने
तुम्हारी अदा पर कायल, घायल हम हो गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
गुलाबी होंठों की मंद मुस्कान, लगी जलबे दिखाने
तुम्हारी अदा पर कायल, घायल हम हो गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
ना कोई सन्देश, ना कोई खबर आने
की
ना कोई निशानी, ना कोई चीज दिल बहलाने कीपथ तुम्हारा निहारते, नैन मेरे सो गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
तुम्हें खोजने भी निकलूं, राह
कैसे पाऊं
सन्देश भी तुम्हें भेजूं, सन्देशी किसे बनाऊं
बस मिलन के इन्तजार में, तेवर मेरे बदल गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
सन्देश भी तुम्हें भेजूं, सन्देशी किसे बनाऊं
बस मिलन के इन्तजार में, तेवर मेरे बदल गए
पिया तुम कहाँ चले गए...................!
डायरी के जर्द पन्नों से......!
इन्तजार में तुम्हारे , हम बेसुध से हो गए
जवाब देंहटाएंपिया तुम कहाँ चले गए ...................!
बहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता.... अनूठा ख्याल लाजबाब प्रस्तुति
कुछ लाइने दिल के बडे करीब से गुज़र गई....जैसे ये
जवाब देंहटाएंगुलाबी होंठों की मंद मुस्कान , लगी जलबे दिखाने
तुम्हारी अदा पर कायल , घायल हम हो गए
...............लाजवाब पंक्तियाँ
खूबसूरत कविता... बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंलाजवाब , खूबसूरत , बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंपिया के जाने का दर्द ......अच्छा है कलम के जरिये बाहर आ गया अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर विरह गीत। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर, लाजवाब विरह गीत।
जवाब देंहटाएंडायरी के इन्हीं जर्द पन्नों में हसीन दर्द भी है और पीड़ादायक खुशी भी जो जीवन भर हँसाते-रुलाते रहेगी.सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंबस मिलन के इन्तजार में . तेवर मेरे बदल गए
जवाब देंहटाएंपिया तुम कहाँ चले गए ...................!
बहुत खतरनाक तेवर हैं केवल भाई.
क्या कमाल का लिख देते हो.
पथ उनका निहारते 'सो' भी लेते हो.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
Wait, wait and wait.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत अंदाज़ है !
जवाब देंहटाएंअरे वाह.. यह तो लग रहा है जैसे आप किसी फिल्म के लिए गाने लिख रहे हों.. ऐसा ही है क्या?
जवाब देंहटाएंकाफी दिनों से ब्लॉग-वार्तालाप नहीं हुई.. अंतिम बार दिल्ली में मिले थे..
ब्लॉग पर आइये कभी..
पिया का दूर रहना ज्यादा अच्छा नहीं है. सावन में प्यार की तड़प और भी बढ़ जाती है. इस पर हिंदी फिल्म में एक गाना भी है किशोर दा की आवाज में "...... चिंगारी कोई भड़के तो सावन उसे बुझाये, सावन जो अगन लगाये तो उसे कौन बुझाये ............"
जवाब देंहटाएंसुन्दर कल्पना ! आपके सपनों को पंख लगे. शुभकामनायें !!
ना कोई सन्देश , ना कोई खबर आने की.
जवाब देंहटाएंना कोई निशानी , ना कोई चीज दिल बहलाने की
पथ तुम्हारा निहारते , नैन मेरे सो गए
पिया तुम कहाँ चले गए ...................! waah
गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई.
वाह ...बहुत ही अच्छा लिखा है ..बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंतुम्हें खोजने भी निकलूं , राह कैसे पाऊं
जवाब देंहटाएंसन्देश भी तुम्हें भेजूं , संदेशी किसे बनाऊं
बस मिलन के इन्तजार में . तेवर मेरे बदल गए
पिया तुम कहाँ चले गए ...................!
लाजवाब पंक्तियाँ... बहुत सुन्दर विरह गीत... दर्द भी बहुत खूबसूरत हो गया है शब्दों में ढलकर...
पिया तुम कहाँ चले गए ...................!
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसुरत अभिव्यक्ति हैं ..नायिका का यु बेबश होना ..प्यार की इन्तहां हैं...
a heart touching poem .. jane waale ja kar bhi kahan jaate hai , yaadon k dhundh mai bas ham unko khoje jate hai .. wo to kah gay nahi ham laut kar aane wale , magar ham hai bas intjaar kiye jaate hai hai ....
जवाब देंहटाएंपिया तुम कहां चले गए..
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव और अभिव्यक्ति का क्या कहना
आभार
सुन्दर बभव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गयी! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
मोरे पिया गए रंगु्न,वहां से किया है टेलीफ़ून,
जवाब देंहटाएंके तेरी याद सताती है।
मौसम बेईमान है।
आज तो छा गए, मेला लूट लिया।
बहुत सुन्दर, लाजवाब विरह गीत। सुन्दर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति ||
जवाब देंहटाएंबधाई ||
संवेदना से भरी खूबसूरत रचना। बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआज 22- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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बहुत सुन्दर प्यार भरा गीत .
जवाब देंहटाएंbhut sundar:)
जवाब देंहटाएंमात्र स्मरण से , बिन बादल के होती बरसात
जवाब देंहटाएंदिन तो ख़्वाब में कट जाता , भारी पड़ती रात
याद में तुम्हारी रो -रोकर , रक्तिम नैन हो गए
पिया तुम कहाँ चले गए ............
बहुत ही खूबसूरत...
केवल जी, बहुत ही अच्छी विरह प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंविरह ,वेदना दर्शाती खूबसूरत कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत विरह गीत पर किसके वियोग में दोस्त जी :)
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना |
तुम्हें खोजने भी निकलूं , राह कैसे पाऊं
जवाब देंहटाएंसन्देश भी तुम्हें भेजूं , संदेशी किसे बनाऊं
बस मिलन के इन्तजार में . तेवर मेरे बदल गए
पिया तुम कहाँ चले गए ...................!
bahut hi khubsurat rachna hai.....
dil chhu gayi...
पिया तुम कहाँ चले गए .. सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंwah kya bat hai bhaiya...
जवाब देंहटाएंander ki bat batau...
@@@ phale to man se padhe ,
@@@ fir dil se gane lage.... tab tak sister chay le kar agai...
wah-2 kya bat hi.... badi achchi geet gai jaa rahi hai...!!!
are mai to bhuli gaya ye geet hi.
Thoda music ke saukin hain so dhun me gana suru kar diya.
Badhai-
Bahut-2 badhai bhaiya.
दिल के भावो को प्रस्तुत करने का बहुत ही खुबसूरत अंदाज़.....
जवाब देंहटाएंतुम्हें खोजने भी निकलूं , राह कैसे पाऊं
जवाब देंहटाएंसन्देश भी तुम्हें भेजूं , संदेशी किसे बनाऊं ...
विरह वेदना को अभिव्यक्त करती बहुत प्रभावपूर्ण प्रस्तुति...लाज़वाब
बहुत ख़ूबसूरती से आपने अपने एहसासों को बयां किया है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक विरह वर्णन है
जवाब देंहटाएंइस बेहतरीन कविता के लिए बधाई, केवल जी
SUNDER VIRAH GEET
जवाब देंहटाएं... ऊपर से यह ज़ालिम सावन का मौसम!!!!!
जवाब देंहटाएंमन के भाव बहुत खूबसूरती से लिखे हैं ..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता ,सुन्दर फोटो और दोनो मे से कौनसी ज्यादा सुन्दर है ये बताना भी मुश्किल है ।
जवाब देंहटाएंlovely poem
जवाब देंहटाएंdard ubhar aaya
कोमल भावों की अद्भुत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता,ख़ूबसूरत अंदाज़
जवाब देंहटाएंआभार
तुम्हें खोजने भी निकलूं , राह कैसे पाऊं
जवाब देंहटाएंसन्देश भी तुम्हें भेजूं , संदेशी किसे बनाऊं
बस मिलन के इन्तजार में . तेवर मेरे बदल गए
पिया तुम कहाँ चले गए ...................!
badhiya likha hai .
विरह वेदना की सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंकविता में विप्रलंभ श्रृंगार सुन्दर है भाई केवल राम जी बधाई |
जवाब देंहटाएंकविता में विप्रलंभ श्रृंगार सुन्दर है भाई केवल राम जी बधाई |
जवाब देंहटाएंना कोई सन्देश , ना कोई खबर आने की.
जवाब देंहटाएंना कोई निशानी , ना कोई चीज दिल बहलाने की
पथ तुम्हारा निहारते , नैन मेरे सो गए
पिया तुम कहाँ चले गए ...................!
man ke komal bhav ko sundar shabdo me byan kiya ,ati sundar likha hai .
अहसास मिलन का , अभी हुआ ही थोडा था
जवाब देंहटाएंविरह से उठकर , अपने को तुमसे जोड़ा था
फिर उसी हाल में , तुम भी मुझे छोड़ गए
पिया तुम कहाँ चले गए ...................!
सुन्दर अभिव्यक्ति ...
हार्दिक बधाई.
virahni ka bahut hi sundar varnan
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विरह का वर्णन!
जवाब देंहटाएंवो भी सावन में!
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आज करगिल शहीद दिवस पर सभी शहीदों को नमन!
waahh kewal ji bhaut sunderrr
जवाब देंहटाएंsunder virah geet .
जवाब देंहटाएंएक आध्यात्मिक चिंतक की अभीव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना केवल राम जी !
जवाब देंहटाएं"चिट्ठी न कोई सन्देस" की याद दिलाती रचना।
जवाब देंहटाएंbahut sunder geet
जवाब देंहटाएंआदरणीय केवल जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता
9 दिन तक ब्लोगिंग से दूर रहा इस लिए आपके ब्लॉग पर नहीं आया उसके लिए क्षमा चाहता हूँ ...आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति लिए विरह के भाव..... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंwaah bahut sunder
जवाब देंहटाएंतुम्हें खोजने भी निकलूं , राह कैसे पाऊं
जवाब देंहटाएंसन्देश भी तुम्हें भेजूं , संदेशी किसे बनाऊं
बस मिलन के इन्तजार में . तेवर मेरे बदल गए
पिया तुम कहाँ चले गए ...................!
bahut hi sunder geet
rachana
virah ki bhavna se bhari ek sunder rachna..
जवाब देंहटाएंसावन मास में विरह गीत बहुत अच्छा रहा!
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक वर्णन किया है आपने विरह का!
khubsurat kavita.......khubsurat bhav
जवाब देंहटाएंman ko chu gayi ........aabhar
मात्र स्मरण से , बिन बादल के होती बरसात
जवाब देंहटाएंदिन तो ख़्वाब में कट जाता , भारी पड़ती रात
याद में तुम्हारी रो -रोकर , रक्तिम नैन हो गए
पिया तुम कहाँ चले गए .....................!
Bahut hi karunamayi, virah bhawo ko prakat karati rachana..aabhar
जबर्दश्त कविता मेरे भाई ... वाह वाह . शब्द गीत के रूप में दिल पर छ गए है ...
जवाब देंहटाएंबधाई
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
Greetings... your blog is very interesting and beautifully written.
जवाब देंहटाएंbhavnatmak, romanchak prastuti ke lie aapko hardik dhanyavad.
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