संख्या का महत्व ..इस श्रृंखला की अगली कड़ी फिर कभी ......क्योँकि आजकल हम हैं तन्हा और यह हाल है हमारा ....लीजये प्रस्तुत है आज बहुत दिनों बाद आपके लिए यह कविता .....!
तन्हाई के आलम में
अन्धेरा आँखों के सामने होता है
दुखी दिल तुम्हारे वियोग में
टूट - टूट कर , न जागता न सोता है !
तुम्हारी चुलबुली अदाएं
एक - एक कर जब याद आती हैं
क्या हालत होती कैसे करूँ वयां
अधर बंद, आँखें सो जाती हैं !
मिले थे तुम तो कुछ सकूँ मिला था
अरमानों की थी मैंने बस्ती बसाई
इस कदर जुदा हुए हम
तुम्हें मेरी वफ़ा रास नहीं आई
अब अश्क नहीं , रक्त टपकता दृगों से
रुई का तकिया सब सोख लेता
हिज्र में तुम्हारे कैसे कटती रातें
पलंग भी सोने नहीं देता ...!
तन्हाई के आलम में
अन्धेरा आँखों के सामने होता है
दुखी दिल तुम्हारे वियोग में
टूट - टूट कर , न जागता न सोता है !
तुम्हारी चुलबुली अदाएं
एक - एक कर जब याद आती हैं
क्या हालत होती कैसे करूँ वयां
अधर बंद, आँखें सो जाती हैं !
मिले थे तुम तो कुछ सकूँ मिला था
अरमानों की थी मैंने बस्ती बसाई
इस कदर जुदा हुए हम
तुम्हें मेरी वफ़ा रास नहीं आई
अब अश्क नहीं , रक्त टपकता दृगों से
रुई का तकिया सब सोख लेता
हिज्र में तुम्हारे कैसे कटती रातें
पलंग भी सोने नहीं देता ...!
बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंक्या कहने
वियोग के पीड़ा से भरे शब्द... शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबड़ी ज़बरदस्त तन्हाई है ...
जवाब देंहटाएंदुखी दिल तुम्हारे वियोग में
जवाब देंहटाएंटूट - टूट कर , न जागता न सोता है !
...............:))
मुझे तो नहीं लगता .....:))
बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंमन पीड़ा कहतीं पंक्तियाँ..... बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंये प्यार में हमेशा जुदाई और तड़प ही क्यों मिलती हैं ???
जवाब देंहटाएंवियोग की पीड़ा खट्टी-मीठी दोनो ही..शुभकामनायें केवल जी..
जवाब देंहटाएंnice.....
जवाब देंहटाएंरास आई आपकी तन्हाई...
जवाब देंहटाएंतन्हाई के आलम में
जवाब देंहटाएंअन्धेरा आँखों के सामने होता है
दुखी दिल तुम्हारे वियोग में
टूट - टूट कर , न जागता न सोता है ! भावो को शब्दों में उतार दिया आपने.............
अकेलापन काटता है
जवाब देंहटाएंतुम्हारी चुलबुली अदाएं
जवाब देंहटाएंएक - एक कर जब याद आती हैं
क्या हालत होती कैसे करूँ वयां
अधर बंद, आँखें सो जाती हैं !
.......अरे!!क्या बात है!!जबरदस्त लिखा है! :):)
इस कदर जुदा हुए हम
जवाब देंहटाएंतुम्हें मेरी वफ़ा रास नहीं आई
....क्या कहूँ इस अन्दाज़ पर्।
सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंकुछ दिन तन्हाई का भी मज़ा लीजिये .
जवाब देंहटाएंसुन्दर उदगार .
ह्रदयस्पर्शी वियोग व्यथा
जवाब देंहटाएंलाजवाब... :-)
ये तन्हाई का आलम देखा न जाए....!!
जवाब देंहटाएंवियोग kकुछ अधिक ही बढ़ गया है !!!! उर्दू के शब्दों की अधिकता उत्पन्न करती है
जवाब देंहटाएंये तन्हाई का आलम !
जवाब देंहटाएंकवि को क्या चाहिए?
जवाब देंहटाएंएक अदद तनहाई!
बधाई हो बधाई
आपने कर ली
कविताई।:)
तनहाई भी अजीब ख्यालों से रूबरू कराती है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
अब अश्क नहीं , रक्त टपकता दृगों से
जवाब देंहटाएंरुई का तकिया सब सोख लेता
हिज्र में तुम्हारे कैसे कटती रातें
पलंग भी सोने नहीं देता ...
विरह की स्थिति को शब्दों में ढाल दिया है आपने ... बहुत ही बढ़िया ...
very beautifully u described the emotions
जवाब देंहटाएंBAHUT BAHUT SUNDAR RACHNA...ANTIM PANKTIYAN JHANJHOR KARTI HAIN...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना है तन्हाई का आलम ही कुछ और होता है बहुत खूब . . .
जवाब देंहटाएंअब अश्क नहीं , रक्त टपकता दृगों से
जवाब देंहटाएंरुई का तकिया सब सोख लेता
हिज्र में तुम्हारे कैसे कटती रातें
पलंग भी सोने नहीं देता ...!
wah keval ji .....gajab ka likha hai ...badhai ke satha abhar bhi
अब अश्क नहीं , रक्त टपकता दृगों से
जवाब देंहटाएंरुई का तकिया सब सोख लेता
हिज्र में तुम्हारे कैसे कटती रातें
पलंग भी सोने नहीं देता ...!
वियोगी दिल की दास्ताँ .....बहुत खूब ...