उसने बैगाना समझ कर भुला दिया
आज फिर उसकी याद ने रुला दिया
खुशियाँ तो हासिल नहीं हुई हमें उससे
मोहब्बत के बदले गम का सिला दिया
उनकी याद आती है अब हर सांस में
दिल की नगरी में ऐसा गुल खिला दिया
उतरा नहीं है नशा इश्क का अब भी
जाम इलाही उसने ऐसा पिला दिया
खेल -खेल में यह पंक्तियाँ आप सबके लिए ....बहुत दिनों से इस रूप में कुछ पोस्ट नहीं किया था यहाँ ....!!!
आज फिर उसकी याद ने रुला दिया
खुशियाँ तो हासिल नहीं हुई हमें उससे
मोहब्बत के बदले गम का सिला दिया
उनकी याद आती है अब हर सांस में
दिल की नगरी में ऐसा गुल खिला दिया
उतरा नहीं है नशा इश्क का अब भी
जाम इलाही उसने ऐसा पिला दिया
खेल -खेल में यह पंक्तियाँ आप सबके लिए ....बहुत दिनों से इस रूप में कुछ पोस्ट नहीं किया था यहाँ ....!!!
वाह, बहुत खूब..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं:-)
बहुत सुंदर गजल ,,,बधाई
जवाब देंहटाएंRECENT POST : समझ में आया बापू .
:-)
जवाब देंहटाएंउनकी याद आती है अब हर सांस में
जवाब देंहटाएंदिल की नगरी में ऐसा गुल खिला दिया ...
बहुत खूब ... सुन्दर शेर हैं गज़ल के ...
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंजो कहना चाहते हो वो तुमने हमको समझा दिया :)
आपकी याद आती रही.....
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