परिवर्तन प्रकृति का नियम
है और यही इसकी पहचान भी है. प्रकृति अपने चक्र के अनुसार सदा बदलती रहती है और
इसी कारण हमें इसमें कहीं पर भी पुरानापन नजर नहीं आता. सूरज नित नए रूप में हमारे
सामने प्रकट होता है एक नयी ऊर्जा लेकर, तारों की टिमटिमाहट भी हमसे बहुत कुछ कहती है, चाँद
भी जब अपने शबाब पर होता है तो वह भी हमें आकृष्ट करता है अपनी और, सुबह-सुबह किसी दूर पहाड़ पर सूरज की लालिमा हमें नया जीवन जीने की और
प्रेरित करती है, और वहीं घास पर पड़ी ओस की बूदें हमें
जीवन के हर पल को सजीवता से जीने का सन्देश देती हैं. चिड़ियों का चहचहाना हमें एक
नए संसार की कल्पना करने को प्रेरित करता है और वहीँ पर फूलों का मुस्कुराना, हर पल हंसना जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टि प्रदान करता है. कहीं दूर
पहाड़ की चोटी से एक नन्ही सी बूंद झरने का रूप लेकर नदी में मिल जाने के लिए बेताब
और कहीं खेतों से आती मिटटी की सोंधी खुशबू, कहीं किसान
का हल चलाना, और कहीं गडरिये का अपनी भेड़ों के बीच गीत
गाना, कहीं किसी दूर गांव में बच्चों का खिलखिलाकर
हंसना और वहीँ किसी नयी-नवेली दुल्हन के हाथों में चूड़ियों का खनकना, यह सब कुछ हमारे सामने घटित होता है और हम रोमांच से भर उठते हैं. ऐसा
वातावरण है कि हमें किसी की कोई चिंता नहीं, कोई परवाह
नहीं, कोई अपना नहीं-कोई बैगाना नहीं. मानो सब कुछ
प्रकृति का है और हम इसकी गोद में जीवन को जीने का भरपूर आनंद ले रहे हैं, ऐसे माहौल में तो जीवन का हर पल सुखद है, आनंदित
है.
लेकिन आज के दौर में इस
धरा पर ऐसा वातावरण कहाँ किसको नसीब होता है, कहीं किसी सुदूर क्षेत्र में भी ऐसा देखने को नहीं मिलता. सब और एक अंधी
दौड़ है एक दुसरे से आगे निकलने की, लेकिन आप कितना भी
दौड़ लो, कितना भाग लो समय का कोई मुकाबला नहीं कर सकता.
यह एक कटु सत्य है आप समय के साथ नहीं चल सकते, आप एक
पक्ष से उसे पकड़ने की कोशिश करते हो वह कहीं और अपूर्णता देकर निकल जाता है और हम
उसकी राह ताकते रह जाते हैं. यह इसका स्वभाव भी है और इसी कारण समय हमेशा एक अबूझ
पहली बना हुआ है. समय की अपनी चाल है उसे समझ पाना मुश्किल ही नहीं, ना मुमकिन भी है. इसलिए जो भी इस धरा पर आया एक दिन समय के साथ उसे भी
अपना चोला बदलना पड़ा, यहाँ कुछ भी शाश्वत नहीं सिवाय
समय के और इसका पहिया निरंतर घूम रहा है, एक गति से. इस
गति को समझने की कोशिश हर कोई करने का प्रयास करता है लेकिन अंततः असफलता हाथ ही
लगती है, अंत में वह खुद को ठगा हुआ ही महसूस करता है, लेकिन इतना कुछ होने के बाबजूद भी दूसरे के लिए यह पहली अबूझ बनी रहती है
और यही समय की बड़ी ताकत भी है.
समय को हम सेकेण्डों, मिनटों, घंटों, दिनों, सप्ताहों, महीनों
और सालों में गिनते हैं, यह सिर्फ हमारी सुविधा के लिए
है और यह होना भी चाहिए. अब अगर हम यह कह ही रहे हैं कि एक जनवरी को नया साल शुरू
होता है तो फिर क्योँ न सबको इस उपलक्ष पर शुभकानाएं प्रेषित की जाएँ. यह मानवीय
स्वभाव भी है और यह हमारी एक दुसरे के प्रति संवेदनशीलता, प्रेम और सम्मान को भी दर्शाता है, एक तरीके से
यह व्यवाहर मानवीय मूल्यों के बिलकुल करीब भी बैठता है. दो व्यक्तियों का एक-दूसरे
के लिए ख़ुशी का कारण बनना अच्छा है और यही शुभकामना का एक व्यावहारिक पहलू भी है.
लेकिन एक प्रश्न यहाँ सहज रूप से उभर कर आता है कि क्या सिर्फ शुभकामना शब्द कह
देने से हम किसी के लिए खुशी का कारण बन सकते हैं ? बहुत गहरे में उत्तर कर देखा तो लगा कि आंशिक रूप से ऐसा होता है, लेकिन किसी के लिए सचमुच ही ख़ुशी का कारण बनना है तो हमें कर्म रूप में उस
शुभकामना के पूर्ण होने के लिए प्रयासरत होना पडेगा तभी कहीं जाकर सार्थक परिणाम
प्राप्त किये जा सकते हैं और जो ऐसा करने में सक्षम होता है वही वास्तविक रूप से
शुभकामना को सार्थक करता है.
अभी नया साल शुरू हुआ है, जिसे में 2014 ईस्वी के नाम से अभिव्यंजित कर
रहे हैं और हर कोई अपने जानने वालों को बधाई दे रहा है और आने वाले समय में उसके
भले होने और सफलता की कामना कर रहा है, मैं भी आप सबके
साथ पूरे विश्व के प्रत्यें प्राणी की भलाई की कामना में शरीक हूँ और ईश्वर करे कि
हम सबकी शुभकामना पूरी हो और यह जो प्रकृति जिसे हम परमात्मा की छाया कहते हैं
उसका स्वरूप और सुंदर बन पाए. सब प्राणी एक-दूसरे का भला मांगते हुए, भला करते हुए प्रगति पथ पर अग्रसर हों, यही दिल
से प्रार्थना है, यही कामना है. लेकिन ऐसा सिलसिला तो
हर कहीं चलता रहता है, हर दिन हर कोई न कोई किसी न किसी
उपलक्ष पर किसी न किसी के लिए शुभकामना की कामना करता ही रहता है. ऐसी शुभकामनाओं
के इस दौर में हम अपने आसपास के वातावरण को देखें तो दृश्य भयावह बनते हुए नजर आ
रहे हैं!!! अरे !! बनते हुए नहीं, बने हुए हैं. तो फिर
ऐसे में शुभकामनाओं का क्या प्रभाव पड़ने वाला है, और
क्या परिवर्तन होने वाला है, यह विचारणीय बिन्दु हैं.
आज हम जिस उपलक्ष पर
एक-दूसरे को शुभकामनाएं संप्रेषित कर रहे हैं ऐसे अवसर तो पहले भी आये होंगे और
ऐसा ही हमने तब भी किया होगा. लेकिन तस्वीर बदलने की बजाय बिगडती चली जा रही है और
हम सिर्फ औपचारिकता निभा करके अपने-अपने स्वार्थ के साधनों को समेटने में व्यस्त
हैं. हमें किसी की परवाह नहीं, हम चाहते हैं कि हम दूसरे से ज्यादा धन कमायें, हम यह भी चाह रहे हैं कि पिछले वर्ष की अपेक्षा हमारी सुख सुविधाओं में
ज्यादा वृद्धि हो, हमारे पास जितने भौतिक संसाधन हैं
उससे दौगुने-चौगुने संसाधन हमारे पास आयें और हम एक विलासिता पूर्ण जिन्दगी जी
पायें. अगर ऐसे स्वार्थ भरे लक्ष्य हमारे पास हैं तो संभवतः हमारी शुभकामनाएं कभी
भी फलीभूत होने वाली नहीं हैं वह सिर्फ औपचारिकता का हिस्सा हैं. अगर सच में हम
दुनिया के वर्तमान वातावरण के प्रति तनिक भी संवेदनशील हैं तो हमें अब अपनी शुभकामनाओं को शुभकर्म में तब्दील करने की सख्त जरुरत
है, वर्ना समय से तो नहीं कहा जा सकता न कि तू ठहर जा, जबकि इसे मेरे आग्रह पर भी रुकना ही नहीं है तो हम इस नए वर्ष में कुछ ऐसे संकल्प लें जिससे
हमारा भविष्य और वर्तमान सुखद हो, समृद्ध हो, आनंददायक हो.
- हम देख रहे हैं कि पिछले कुछ
वर्षों में मनुष्य के नैतिक मूल्यों में निरंतर गिरावट हो रही है, ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिनके बारे में कल्पना भी नहीं की जा
सकती, लेकिन आये दिन हम देख ही रहे हैं कि मानव
किस कदर गिर रहा है, इस नववर्ष में हम ऐसा संकल्प
करें कि हम नैतिक मूल्यों को जीवन में ज्यादा तरजीह दे पायें.
- इस धरा पर मनुष्य ही नहीं जितनी
भी प्रकृति है (जड़ और चेतन) वह परमात्मा की अभिव्यक्ति है, सबमें खुदा बसता है, लेकिन कुछ स्वार्थी
और अक्ल के दुश्मनों ने इसे कई प्रकार से बांटा है. मनुष्य-मनुष्य में जाति, भाषा, धर्म, क्षेत्र
और रंग आदि के आधारों पर भेद किया है और इसी कारण आये दिन विश्व में अशांति
फ़ैल रही है, मनुष्य-मनुष्य के खून का प्यासा बना
फिर रहा है. भाषा के नाम पर झगडे हो रहे हैं, जाति
के नाम पर लोग कट रहे हैं, ऐसे भयावह दृश्य में
हमें और सजग होकर कार्य करने की जरुरत है, जिससे
मानवीय मूल्यों की स्थापना हो पाए और मानव उच्च आदर्शों के अनुरूप जीवन जीते
हुए अपना जीवन सफ़र तय कर पाए.
- आज का इंसान वैज्ञानिक उन्नति को
ही सब कुछ मन बैठा है, लेकिन यह
उसके जीवन का एक पक्ष है, जिसकी तरफ उसका ध्यान
सबसे ज्यादा जा रहा है और जाना भी चाहिए. लेकिन उसे यह भी नहीं भूलना चाहिए
कि जिस भौतिकता की राह पर वह दौड़ रहा है, वह
क्षणिक है, इसलिए उसे वास्तविक आनंद को प्राप्त
करने के लिए ईश्वर को भी ध्यान में रखना होगा, हम
ऐसा संकल्प करें कि जो हमारे जीवन का आधार है, उसे
महसूस करते हुए हम जीवन के सफ़र को तय करने की कोशिश कर पायें.
- हमारे चारों और के वातावरण के
निर्माण में प्रकृति की बहुत बड़ी भूमिका है, आग, हवा, पानी
आदि सब कुछ जो भी हमारे जीने लायक है वह सब हमें प्रकृति से प्राप्त होता है, लेकिन भौतिकता और अधिक से अधिक मुनाफे की दौड़ में हम इसका अत्याधिक
दोहन कर रहे हैं, विकास के नाम पर हम सब कुछ
उजाड़ने पर तुले हुए हैं, हमें विभिन्न समय पर ऐसी
चेतावनियाँ (उत्तराखंड जैसी) भी प्रकृति के द्वारा दी जाती रही हैं, लेकिन हम हैं कि सँभालने का ही नाम नहीं ले रहे हैं, अगर ऐसे ही हालात जारी रहे तो निकट भविष्य में धरती पर मानव का जीवन
मात्र कहानी बन कर रह जाएगा, इसलिए जल, जमीन और जंगल के प्रति हमें संवेदनशील होने की जरुरत है.
- हमारे देश का ही नहीं, बल्कि दुनिया की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा अभी भी जीवन की मुलभुत
सुविधाओं से वंचित है. हमें ऐसे लोगों के उत्थान और जीवन स्तर को उंचा उठाने
के संकल्प की जरुरत है.
ऐसे कई बिन्दु निरंतर
मेरे दिमाग में कौंध रहे हैं जिन पर इस पोस्ट में विचार किया जा सकता है, लेकिन अब मैं इस पोस्ट को और विस्तार नहीं देना
चाहता, बस आप सबसे इतना ही कहना चाहता हूँ कि हम सबको
अपनी शुभकामनाओं के अनुरूप अमल करने की जरुरत है . बाकी बिन्दुओं पर अलग-अलग रूपों
में चर्चा होती रहेगी.
आप सबको नववर्ष 2014 की तहे दिल से शुभकामनायें ........!!!!!!
हो जग का कल्याण, पूर्ण हो जन-गण आसा |
जवाब देंहटाएंहों हर्षित तन-प्राण, वर्ष हो अच्छा-खासा ||
शुभकामनायें आदरणीय
बहुत सुन्दर और सार्थक चिंतन.
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.
आप मेरे ब्लॉग पर आये,बहुत अच्छा लगा.
हार्दिक आभार
रोंप खुशियों की कोंपलें
जवाब देंहटाएंसदभावना की भरें उजास
शुभकामनाओं से कर आगाज़
नववर्ष 2014 में भरें मिठास
नववर्ष 2014 आपके और आपके परिवार के लिये मंगलमय हो ,सुखकारी हो , आल्हादकारी हो
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 02-01-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
जवाब देंहटाएंआभार
नया वर्ष केवल शुभकाम्नाएँ देने का अवसर नहीं बल्कि तनिक रुककर, ठहरकर कुछ सोचने का मौका भी है!! अच्छे विचार और चिंतन बिन्दु प्रदान किए हैं आपने!!
जवाब देंहटाएंनए साल का स्वागत करने का अंदाज़ बहुत पसंद आया ....नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.
बहुत सुंदर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
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