पिछले कुछ वर्षों से
अंतर्जाल हमारी जिन्दगी का एक अहम् हिस्सा बन गया है. अंतर्जाल पर उपलब्ध कुछ
माध्यम हमारी रोजमर्रा की गतिविधियों में शामिल हो गए हैं. मेल, ब्लॉग, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्स एप्प, इन्स्टाग्राम जैसे ठिकानों ने हमारी दैनिक जीवन की गतिविधियों और
क्रियाकलापों को काफी हद तक प्रभावित किया है. इनके अलावा अनेक ऐसी वेबसाइट्स और
मोबाइल एप्लीकेशन्स हैं जिनका प्रयोग हम अपनी जरूरतों के अनुसार करते हैं. भारत
में जब से इन्टरनेट की शुरुआत (15 अगस्त 1995) हुई है, तब से लेकर आज तक भारत में इन्टरनेट का
निरन्तर विस्तार होता चला गया है. सन 1992 में जब वर्ल्ड वाइड वेव (www) अस्तित्व में आया तब भारत में इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या
शून्य थी. 1995 में जब भारत में इन्टरनेट की शुरुआत हुई उस समय भारत प्रति
सौ व्यक्तियों में इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या 0.026 थी,सन 2000 में यह
संख्या 0.528 हो गयी. इसे हम ऐसे भी कह सकते हैं
कि सन 2000 में भारत की कुल आबादी का मात्र 0.5% प्रतिशत
आबादी ही इन्टरनेट के सम्पर्क में आई थी. सन 2005 में भारत में इन्टरनेट का प्रयोग
करने वालों की संख्या कुल जनसंख्या का 2.4% थी.
2010 में भारत में इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों का प्रतिशत 7.5 था और 2015 में
यह 27% प्रतिशत तक पहुँच गया. भारत में 2016 की
स्थिति देखें तो कुल जनसंख्या का 34.8% इन्टरनेट का प्रयोग
करता है. इन आंकड़ों पर अगर हम गौर करें तो एक बात स्पष्ट रूप से सामने आती है कि
भारत में इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या में सन 2010 के बाद एकदम से
उछाल आ गया है. इसके कई सारे कारणों में से मोबाइल पर इन्टरनेट की उपलब्धता को
सबसे महत्वपूर्ण माना जा सकता है. आज भारत में प्रति 100 व्यक्तियों में से 26
व्यक्ति इन्टरनेट का प्रयोग कर रहे हैं.

इन्टरनेट की बढ़ती
उपयोगिता और सोशल सोशल नेटवर्किंग के इस दौर में व्यक्ति जी जिन्दगी में कई तरह के
परिवर्तन आये हैं. आज एक सामान्य से इनसान के हाथ में भी स्मार्टफोन है और वह उसी
के माध्यम से पूरी दुनिया से जुड़ा हुआ है. अब तो स्थिति यह है कि
संवाद-विवाद-समर्थन-विरोध जैसे कम भी वह इन्टरनेट के माध्यम से करने लगा है. आम
इनसान के हाथ में स्मार्टफोन का होना, सिर्फ सम्पर्क स्थापित करने के साधन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि स्मार्टफोन के रूप में उपलब्ध यह छोटी सी डिवाइस उसके सम्पूर्ण
क्रियाकलापों का एक जीवन्त दस्तावेज है. इसके माध्यम से वह अपने जीवन के अनेक
महत्वपूर्ण कार्यों को अन्जाम देता है. स्मार्टफोन में इन्टरनेट की उपलब्धता उसकी
कार्यक्षमता को कई गुना बढ़ा देती है. इसे हम ऐसे भी कह सकते हैं कि इन्टरनेट स्मार्टफोन
में आत्मा की तरह कार्य करता है. स्मार्टफोन अगर इन्टरनेट के साथ जुड़ा हुआ है तो
वह एक तरह से व्यक्ति का जीवन्त साथी हो जाता है और इसके माध्यम से व्यक्ति उस हर
कार्य को अन्जाम दे सकता है जो उसकी तात्कालिक जरुरत हो. इस तरह से हम यह समझ सकते
हैं कि वर्तमान दौर में इन्टरनेट और इससे जुड़े हुए अनेक साधन व्यक्ति के जीवन का
अहम् हिस्सा हैं और व्यक्ति जितना इन साधनों के साथ जुड़ता चला जाता है उतना ही
उसका जीवन सुगम होता चला जाता है. शेष अगले अंक में...!!!
सही है स्मार्ट फोन ने हर आम इंसान की इंटरनेट तक पहुँच आसान बना दी है. सार्थक विश्लेषण। शुभकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंइन्टरनेट की दुनिया के बारे में बहुत अच्छी जानकारी ..
जवाब देंहटाएंआपको नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं ..
समय के साथ दुनिया बहुत बदल गई हैं
जवाब देंहटाएंनव बर्ष की शुभकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्मदिवस ~ कवि गोपालदास 'नीरज' और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंनववर्ष की मंगलकामनाएं । सुन्दर पोस्ट ।
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